लेदर जैकेट, आंखों में चश्मा, छहर्रा बदन, स्टाइल Don की तरह, जिसके एनकाउंटर पर हिल गई थी वसुंधरा राजे सरकार !
आज कहानी जुर्म की दुनिया के उस Real Gabbar की है, जो कहने को तो Liquor King था लेकिन गरीबों की नजर में उसकी छवि रॉबिनहुड वाल थी, जिसके साथ फोटो खींचाने की होड़ लगी रहती थी.
चारों तरफ हथियारबंद पुलिस, लेकिन चेहरे पर खौफ का नामो-निशान तक नहीं, सिर पर काऊबॉय हैट, लेदर जैकेट और आंखों में चश्मा, 6 फुट का छहर्रा बदन, स्टाइल किसी फिल्मी डॉन की तरह, ये तस्वीर जिसकी आपने ऊपर देखी वो कोई मामूली अपराधी नहीं बल्कि जुर्म की दुनिया के उस Real Gabbar की है, जो कहने को तो Liquor King था लेकिन गरीबों की नजर में उसकी छवि रॉबिनहुड वाली थी, जिसके साथ फोटो खींचाने की होड़ लगी रहती थी, ये नाम है आनंद पाल सिंह का, जिसे पकड़ने में वसुंधरा राजे सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन पूरा राजपूत समाज आनंद पाल के लिए एकजुट हो गया था और सरकारी अधिकारियों के पसीने छुड़ा कर रख दिए थे.
जब वसुंधरा राजे सरकार पर लगा दाग !
दरअसल हुआ कुछ यूं था कि 3 सितंबर साल 2015 को नागौर जिले में दिन का उजाला था, इसी जिले में एक कोर्ट है डीडवाना जहां, पेशी से आनंद पाल को लाया जा रहा था, इस दौरान आनंद ने पुलिस वालों को मिठाई खिलाई. जिसके चलते पुलिसकर्मी नशे में हो गए और फिर आनंद के करीबियों ने पुलिस वैन पर फायरिंग कर दी, बीच स़ड़क हुई इस अंधाधुंध फायरिंग में आनंद बच निकला, लेकिन वसुंधरा राजे सरकार पर सवालिया निशान लग गया, ये वो घटना थी जिसने पूरी राजे सरकार को हिलाकर रख दिया था.
एनकाउंटर के बाद बढ़ा शासन-प्रशासन का सिरदर्द
एक तरफ जहां पुलिस आनंद पाल को ढूंढने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही थी तो वहीं दूसरी ओर आनंद की रॉबीनहुड वाली छवि पुलिस के आड़े हाथ आती रही, लेकिन एक दिन वो भी आया जिसके बारे में आनंद ने सोचा भी नहीं था, तारीख थी 24 जून साल था 2017 जब रात के करीब 10 बज रहे थे, जगह थी शेखावटी के चूरू का मौलासर गांव जहां कुछ लोग नींद के आगोश में थे जबकि कुछ लोग सोने की तैयारी कर रहे थे तभी अचानक पूरे गांव में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंज उठती है, जैसे ही गांव वालों ने देखा तो पूरा गांव छावनी बना हुआ था और आनंद पाल जिस श्रवण सिंह के घर में छिपा था वहां पुलिस का कड़ा पहरा था. SOG टीम ने घर को निशाने पर लिया आनंदपाल का एनकाउंटर कर दिया, ये वो केस था जिसने मरने के बाद भी शासन-प्रशासन का ऐसा सिरदर्द बढ़ाया जिसकी कल्पना वसुंधरा राजे को भी नहीं थी.
जब राजपूतों ने पलट दी वसुंधरा राजे की सरकार !
खबरों की मानें तो मरने के बाद आनंदपाल की कहानी खत्म नहीं हुई क्योंकि उसकी मौत के बाद राजपूत समाज का गुस्सा फूट पड़ा और घर वालों ने तो शव लेने से इंकार तक कर दिया, कई कोशिशें हुई लेकिन सब की सब नाकामयाब साबित हुई. जिसने शासन-प्रशासन के पसीने छुड़ाकर रख दिए. कहा जाता है कि आनंद पाल सिंह का शव करीब 3 हफ्तों तक डीप फ्रीज में रखा रहा लेकिन उसके चाहने वालों ने दम नहीं छोड़ा, उनकी बस एक ही जिद थी कि एनकाउंटर का सच सामने आए, एक दिन 12 जुलाई 2017 को तो करीब 2 लाख लोग सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद सरकार भी हिल गई थी.हालांकि अगले दिन फिर अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन राजपूत समाज की ऐसी नाराजगी दिखी की साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में तब की वसुंधरा राजे सरकार का तख्ता पलट हो गया.