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400 किताबों के लेखक, पद्मश्री को मना करने वाले, लखपति बेटे और सुप्रीम कोर्ट में वकील की बेटी के पिता रहते हैं आश्रम में!

लेखक का अब एक बेटा और एक बेटी है। सभी समृद्ध हैं, लेकिन किसी के घर में लेखक के लिए जगह नहीं रह सकी। एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि हम सबसे दुखी हैं। अपने बच्चों के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि हमारे दो बेटे और एक बेटी थी। एक बेटा मर चुका है। एक बेटा है, लेकिन वह बहुत बड़ा आदमी है।

400 किताबों के लेखक, पद्मश्री को मना करने वाले, लखपति बेटे और सुप्रीम कोर्ट में वकील की बेटी के पिता रहते हैं आश्रम में!

एक व्यक्ति जो 400 से ज्यादा किताबें लिख चुका है, उसकी सराहना के लिए सरकार द्वारा उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक पद्मश्री पुरस्कार देने का फैसला लिया जाता है और वो उसे गुरु के एक ज्ञान की वजह से लेने से मना कर देते हैं। बेटा लखपति है, शहर का नामी व्यक्ति है और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है, तो सोचिए उस व्यक्ति की क्या शान होगी,....लेकिन वो व्यक्ति आश्रम में हैं। बेघर होने के बाद वो आश्रम में रहकर किताब लिख रहे हैं...., तो चलिए हम आपको 400 से ज्यादा किताबों के लेखर श्रीनाथ खंडेलवाल के बारे में बताते हैं....

बच्चों ने किया बेघर, आश्रम में लिया सहारा

जिस व्यक्ति की खुद की संपत्ति 80 करोड़ हो, उसे आश्रम में रहना पड़ रहा है। कारण है बच्चों ने घर से निकाल दिया? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल उर्फ एसएन खंडेलवाल का जन्म बनारस में हुआ। वो वहीं के रहने वाले हैं। आश्रम में रहने को लेकर उन्होंने कहा कि हमें हमारे बच्चों ने हमें घर से निकाल दिया है। इस कारण यहां आना पड़ा। उन लोगों ने हमारी जायदाद छीन ली। एसएन खंडेलवाल बताते हैं कि हमारी बच्ची सुप्रीम कोर्ट में वकील है। उसका पति भी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। बेटा भी बड़ा आदमी है। सब बड़े-बड़े आदमी हैं, लेकिन हमें घर से निकाल दिया।

400 से ज्यादा किताबों लिखीं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसएन खंडेलवाल ने बताया कि उनकी संपत्ति करीब 80 करोड़ की है। लेकिन, उनके बच्चों ने उनकी संपत्ति से उन्हें बेदखल कर दिया। भारी मन से वे बताते हैं कि जब हम बीमार पड़े तो हमारे बच्चों ने कहा कि इसकी लाश को बाहर फेंक देना। यह सब सुनकर दुख हुआ। सबसे दुखी हैं। इस कारण वृद्धाश्रम में आ गए। लेखक बताते हैं कि हमने अब तक 400 से अधिक किताबें लिखी हैं। इसमें 18 पुराण, 21 उपपुराण और तंत्र की करीब 400 किताबें शामिल हैं। अभी वे लेखन कार्य में लगे हुए हैं। लेकिन, बच्चों की बेरुखी ने उन्हें बेघर कर दिया है।

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लेखक का अब एक बेटा और एक बेटी है। सभी समृद्ध हैं, लेकिन किसी के घर में लेखक के लिए जगह नहीं रह सकी। एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि हम सबसे दुखी हैं। अपने बच्चों के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि हमारे दो बेटे और एक बेटी थी। एक बेटा मर चुका है। एक बेटा है, लेकिन वह बहुत बड़ा आदमी है। बेटे अनूप खंडेलवाल के बारे में वह कहते हैं कि उसके पास लाखों की जायदाद है। वह बनारस में रहता है। वे दोहराते हैं कि उन लोगों ने हमें घर से निकाल दिया। जब हम बीमार पड़े तो एक मुस्लिम ने मेरी देखरेख की। हमने उसे बचाया था। दो लड़की की शादी की। गलत धंधे में जाने से रोका था, लेकिन हमारे बच्चों ने हमारी सुधि तक नहीं ली।

कर रहे हैं नरसिंह पुराण की रचना

भले ही आश्रम में रहना पड़ा हो, लेकिन लेखक अभी भी किताब लिखने में व्यस्त हैं। साथ ही वो कहते हैं कि उन्हें वहां कोई तकलीफ नहीं है। उन्होंने बताया कि अभी हम एक पुराण लिख रहे हैं। इससे पहले हमारी तीन पुराण छपकर आई है। हम नरसिंह पुराण रचना कर रहे हैं। यह पुस्तक अभी इंग्लिश और संस्कत में ही है। उसकी हिंदी में कॉपी नहीं आई है। हम इसे हिंदी में लिख रहे हैं। केवल आंख की थोड़ी सी परेशानी है। इसके अलावा आश्रम में हमें सभी तरह का सपोर्ट मिलता है।

पद्मश्री पुरस्कार लेने से किया था मना

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसएन खंडेलवाल ने बताया था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक पद्मश्री पुरस्कार देने का फैसला लिया था। लेकिन, उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया था। जिसका कारण उन्होंने बताया था कि हमारे गुरु कहते थे, कुछ भी लेने कहीं नहीं जाना है। अगर कोई कुछ देना चाहे तो यहां (घर) आकर दे सकता है। हालांकि, पद्म पुरस्कार के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ता। इसलिए, हमने उससे इनकार कर दिया।