800 साल पुरानी परंपरा पर सवाल, दरगाह कमेटी के सचिव का बड़ा बयान, कैसा सर्वे, कौन करेगा सर्वे? ये ख्वाजा की दरगाह
सुनवाई के दौरान दरगाह कमेटी ने विष्णु गुप्ता की याचिका को खारिज करने का आवेदन दिया। इस पर गुप्ता के वकील वरुण सिन्हा ने आपत्ति जताई और कोर्ट से कहा कि जब तक रिटेन स्टेटमेंट फाइल न हो, तब तक याचिका खारिज करने का अनुरोध असंवैधानिक है।
अजमेर की ऐतिहासिक दरगाह पर मंदिर होने के दावे का मामला सिविल कोर्ट में गरमाया हुआ है। 20 दिसंबर को इस मामले में सुनवाई हुई, जिसमें दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अगली तारीख 24 जनवरी 2025 तय की। ये मामला हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका से शुरू हुआ, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) से दरगाह का सर्वे करवाने की मांग की गई है।
कोर्ट में बढ़ा विवाद
सुनवाई के दौरान दरगाह कमेटी ने विष्णु गुप्ता की याचिका को खारिज करने का आवेदन दिया। इस पर गुप्ता के वकील वरुण सिन्हा ने आपत्ति जताई और कोर्ट से कहा कि जब तक रिटेन स्टेटमेंट फाइल न हो, तब तक याचिका खारिज करने का अनुरोध असंवैधानिक है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनते हुए अगली सुनवाई में इस मुद्दे पर फैसला लेने का समय दिया।
ASI सर्वे पर खड़ा सवाल
वरुण सिन्हा ने कोर्ट से अपील की कि दरगाह का ASI सर्वे कराया जाए ताकि ये स्पष्ट हो सके कि क्या दरगाह के नीचे मंदिर के अवशेष हैं। इस पर कोर्ट ने दरगाह कमेटी और ASI को नोटिस जारी किया। अगली सुनवाई में ये तय होगा कि सर्वे होगा या नहीं।
दरगाह पक्ष का विरोध: "ये ख्वाजा की दरगाह है"
दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने सर्वे की मांग को खारिज करते हुए कहा, "ये ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर लाखों श्रद्धालु यहां चादर चढ़ाते हैं। ये मामला वर्शिप एक्ट के तहत आता है और कोर्ट तय करेगा कि इस पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं।" चिश्ती ने दरगाह के 800 साल पुराने इतिहास और उर्स की परंपरा को उजागर करते हुए कहा कि दरगाह का सर्वे कराना अनुचित है।
अगली सुनवाई में नया मोड़ ले सकता है मामला
इस विवाद में पांच और लोगों ने खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है, जिसे कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लिया है। अगले चरण में ये तय होगा कि ASI सर्वे होगा या दरगाह को धार्मिक स्वतंत्रता के तहत संरक्षित रखा जाएगा।
क्या है मामला?
- पक्ष 1: हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता का दावा है कि दरगाह स्थल के नीचे प्राचीन मंदिर है। ASI सर्वे की मांग।
- पक्ष 2: दरगाह कमेटी का कहना है कि ये धार्मिक स्थल 800 वर्षों से पूजा और उर्स के लिए उपयोग हो रहा है।
- कोर्ट का निर्णय: अगली सुनवाई में याचिका और सर्वे पर फैसला लिया जाएगा।
क्या इतिहास और आस्था में टकराव सुलझेगा?
ये मामला ऐतिहासिक, कानूनी और धार्मिक नजर से बेहद महत्वपूर्ण है। 24 जनवरी 2025 की सुनवाई में तय होगा कि धार्मिक स्थलों के विवादों का समाधान कैसे होगा।