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भजनलाल सरकार का एक साल, सपनों की डगर या संघर्ष की लहर? ताज की चमक और कांटों की चुभन, जनता के फैसले के इंतजार में सरकार

भजनलाल सरकार के एक साल में सस्ते गैस सिलेंडर और सौर ऊर्जा जैसी विकास योजनाओं ने राहत दी, लेकिन अपराध, भ्रष्टाचार और नौकरशाही के मुद्दों पर सरकार बैकफुट पर नजर आई। जनता के फैसले के इंतजार में सरकार का लेखा-जोखा अधूरा सा लगता है।

भजनलाल सरकार का एक साल, सपनों की डगर या संघर्ष की लहर? ताज की चमक और कांटों की चुभन, जनता के फैसले के इंतजार में सरकार

राजस्थान की सियासत में जब भी बदलाव की बयार बहती है, तब हर कदम पर सवाल खड़े होते हैं। यही हुआ जब एक मामूली से दिखने वाले कार्यकर्ता, भजनलाल शर्मा, एक पर्ची के जरिए मुख्यमंत्री बने। उनकी ताजपोशी जितनी अप्रत्याशित थी, उनके सामने चुनौतियां उतनी ही विशाल थीं। मगर, सवाल ये है कि एक साल बाद उनकी सरकार का सफर कैसा रहा?

ताज की चमक और कांटों की चुभन

1 जनवरी 2023 को जब भजनलाल सरकार ने 70 लाख परिवारों को सस्ती गैस सिलेंडर की सौगात दी, लगा जैसे जनता के अच्छे दिन आ गए। लेकिन इसके बाद चुनौतियां शुरू हो गईं। अपराध, भ्रष्टाचार, नौकरशाही की हठधर्मिता और दिग्गज नेताओं की नाराजगी—इन सबने सरकार की नींव को झकझोर कर रख दिया।

लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल

उदयपुर से देवली तक के हिंसक मामलों और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर सरकार की चुप्पी और धीमी प्रतिक्रिया ने जनता को निराश किया। विपक्ष ने सवाल उठाए, और जनता ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली।

अपनों से लड़ाई और विरोधियों का हमला

सरकार को सिर्फ विरोधियों का ही सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि अपनों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। किरोड़ी लाल मीणा जैसे दिग्गज नेताओं ने एसआई भर्ती परीक्षा के पेपर लीक पर सवाल उठाए। कविता शर्मा विवाद में नौकरशाही का दबदबा भी भजनलाल के लिए सिरदर्द साबित हुआ।

आर्थिक और विकासात्मक प्रयास

इसके बावजूद भजनलाल सरकार ने कई बड़े कदम उठाए। पश्चिमी राजस्थान में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की शुरुआत, सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में सुधार, और पर्यटन व उद्योग नीति जैसी योजनाओं से विकास को गति देने की कोशिश की।

जनता के फैसले की प्रतीक्षा

एक साल के इस सफर में भजनलाल सरकार की कामयाबी और नाकामी दोनों के चर्चे रहे। जहां कुछ फैसलों ने जनता को राहत दी, वहीं कई मुद्दों पर सरकार बैकफुट पर नजर आई। अब सवाल यह है कि राजस्थान की जनता इस सरकार को 100 में कितने नंबर देती है? यह निर्णय जनता की अदालत में है।

क्या भजनलाल सरकार उम्मीदों का नया सवेरा लाई है, या फिर यह सिर्फ संघर्षों की कहानी बनकर रह गई? यह तो वक्त ही बताएगा।