Indian Air Force Day: भारतीय वायु सेना के पायलट सर्वश्रेष्ठ, पढ़ें इस दिन से जुड़े अन्य फैक्ट्स...
मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता कर्नल देव आनंद द्वारा 92 एयर फोर्स स्थापना दिवस के मौके पर भारतीय वायु सेवा के इतिहास को याद किया गया।
वायु सेना के 92 वे स्थापना दिवस के मौके पर जे. ई .सी.आर.सी. इंजीनियरिंग कॉलेज के आई टी विभाग द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम असिस्टेंट प्रोफेसर आशाराम गुर्जर ( ए .आर.धांगड़ ) एवं डॉ नवीन कुमार केडिया के नेतृत्व में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर स्मिता अग्रवाल द्वारा की गई । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता भूतपूर्व सैनिक विकास समिति राष्ट्रीय अध्यक्ष कनर्ल देव आनंद लोहामरोड़ रहे। डॉ नवीन कुमार केडिया द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया।
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मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता कर्नल देव आनंद द्वारा 92 एयर फोर्स स्थापना दिवस के मौके पर भारतीय वायु सेवा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए 92 वर्ष के लंबे सफर पर चर्चा करते हुए वायु सेना कि विभिन्न युद्धों में निर्णायक भूमिका की अहमियता एवं वायु सेना के पायलट एवं सैनिकों की बहादुरी एवं बलिदान के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी । भारतीय वायुसेना दिवस 2024 की थीम "भारतीय वायुसेना - सक्षम, सशक्त, आत्मनिर्भर" रखी गई है। हर साल यह दिन जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारतीय वायुसेना ने 1965, 1971 और कारगिल युद्धों में अपनी ताकत और क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया है।ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी प्रमुख घटनाओं में भी भारतीय वायुसेना का योगदान अहम रहा है।
वायु सेना के पायलट दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हवाई योद्धा
भारतीय वायुसेना दिवस देश के वीर जवानों के साहस और बलिदान को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। कर्नल ने बताया कि भारतीय वायु सेना के पायलट दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हवाई योद्धा के रूप में जाने जाते हैं। स्थापना के उपरांत विभिन्न युद्धों में अपने कौशल एवं बहादुरी का परिचय दिया है । कर्नल ने बताया कि अगर 1947 एवं 1962 में भारतीय वायुसेना को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी जाती तो जम्मू कश्मीर की 1 इंच भी पाकिस्तान या चीन कब्जा नहीं कर सकता था एवम बड़ी संख्या में हमारे सैनिकों के बलिदान को रोका जा सकता था।
भारत माता के सम्मान को बरकरार रखने की प्रतिज्ञा
1999 के कारगिल युद्ध में इजरायल द्वारा दिए गए सैन्य सहयोग के अंतर्गत सूचना ,लेजर गाइडेड वेपन एवं ड्रोन की मदद के कारण भारतीय वायु सेना पहाड़ियों की चोटी पर स्थित बनकरों को बर्बाद करने मे सफल रही तथा भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान को हराने में बड़ी मदद साबित हुई । उद्बोधन के दौरान विद्यार्थियों द्वारा समय-समय पर तालिया की गदगढ़त में राष्ट्रभक्ति का संचार साफ देखा जा सकता था। उद्बोधन के अंत में करनाल द्वारा मौजूद विद्यार्थियों को भारत माता के सम्मान को बरकरार रखने की प्रतिज्ञा को एक स्वर में दोहराया गया। डॉक्टर स्मिता अग्रवाल ने समापन उद्बोधन में मुख्य अतिथि का आभार जताते हुए विद्यार्थियों द्वारा अनुशासित ढंग से कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बधाई दी ।।।