नरेश मीणा के थप्पड़ कांड से बवाल, किरोड़ी और जवाहर ने कांग्रेस पर साधा निशाना
राजस्थान के चौरासी विधानसभा उपचुनाव में एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना ने सियासी माहौल गरमा दिया है। नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद जहां समर्थकों ने न्याय की मांग की, वहीं हनुमान बेनीवाल ने विवादित बयान देकर राजनीति को और गर्मा दिया। कांग्रेस पर विपक्षी नेताओं के तीखे हमले और प्रशासन की जांच ने इस मुद्दे को और बड़ा बना दिया है।
राजस्थान में चौरासी विधानसभा उपचुनाव के दौरान नरेश लाल मीणा द्वारा एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस विवाद के बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नरेश मीणा को गिरफ्तार किया। उन पर भारतीय दंड संहिता की 10 गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल वह जेल में बंद हैं। इस घटना के बाद से सियासी गलियारों में तीखी बयानबाजी और समर्थन रैलियों का दौर जारी है।
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बेनीवाल का समर्थन और विवादित बयान
इस विवाद में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने नरेश लाल मीणा का खुला समर्थन किया। उन्होंने एसडीएम को ही दोषी ठहराते हुए कहा, "अगर दो-तीन थप्पड़ और लग जाते, तो अच्छा होता।" बेनीवाल के इस बयान ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। उनका दावा है कि प्रशासन ने किसानों की समस्याओं को अनदेखा करते हुए यह विवाद पैदा किया।
समर्थकों की रैलियां और विरोध
इस घटना के बाद नरेश मीणा के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने कई जगह रैलियां निकालीं और न्याय की मांग की। समर्थकों का कहना है कि यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। वे नरेश मीणा को निर्दोष बताते हुए प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं।
कांग्रेस पर निशाना और किरोड़ी-जवाहर का गठजोड़
इस घटना ने भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को आमने-सामने खड़ा कर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस के बागी नेता जवाहर बेड़म इस मुद्दे पर एकजुट नजर आए। मीडिया से बातचीत में जवाहर बेड़म ने कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, "यह घटना किसानों की अनदेखी का नतीजा है। कांग्रेस सरकार पूरी तरह से असंवेदनशील हो चुकी है।"
प्रशासन की जांच और सियासी बयानबाजी
विवाद के बाद प्रशासन ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। लेकिन विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने इसे राजनीतिक अखाड़ा बना दिया है। बयानबाजी और समर्थन रैलियों ने इस मामले को चुनावी मुद्दा बना दिया है।