10 करोड़ का झूठा रुतबा, अचानक बनी शानो-शौकत से पुलिस भी दंग, 16 राज्यों तक फैला ठगी का जाल, आपके भी उड़ा देगा होश
ये मामला 23 अप्रैल को शुरू हुआ, जब हनुमानगढ़ के रहने वाले सुनील कुमार को एक दिन टेलीग्राम पर अनजान नंबर से मैसेज मिला। प्रोफाइल में कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की की तस्वीर थी।
राजस्थान की हनुमानगढ़ पुलिस ने एक ऐसी साइबर ठगी का खुलासा किया है, जिसने न केवल आम लोगों बल्कि पुलिस के होश उड़ा दिए। टेलीग्राम पर आया एक साधारण-सा मैसेज। एक खूबसूरत प्रोफाइल फोटो। और इसके साथ ही शुरू हुआ एक ऐसा खेल, जिसने 16 राज्यों में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी को अंजाम दिया। गिरोह का दिमाग इतना शातिर था कि वे एक मासूम दोस्ती से शुरुआत कर, लोगों को लग्जरी लाइफ के सपने बेचकर, उनके खाते खाली कर देते थे। लेकिन इस बार ठगों के जाल में खुद साइबर पुलिस ने फांस डाल दी।
दोस्ती से शुरू हुआ खेल, करोड़ों में बदल गया घोटाला
ये मामला 23 अप्रैल को शुरू हुआ, जब हनुमानगढ़ के रहने वाले सुनील कुमार को एक दिन टेलीग्राम पर अनजान नंबर से मैसेज मिला। प्रोफाइल में कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की की तस्वीर थी। सुनील ने इसे दोस्ताना इशारा समझा और बातों का सिलसिला शुरू हो गया। बातें धीरे-धीरे भरोसे में बदल गईं। फिर आया सपना "दो से तीन लाख रुपये में लग्जरी जिंदगी जीने का मौका।" सुनील ने भरोसा कर लिया और महीनेभर में अलग-अलग खातों में करीब 95 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। लेकिन जब उसे सच्चाई का एहसास हुआ, तब तक वो ठगी का शिकार हो चुका था।
16 राज्यों तक फैला ठगी का जाल
हनुमानगढ़ के एसपी अरशद अली ने बताया कि इस गिरोह ने 16 राज्यों में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी को अंजाम दिया है। गिरोह के खिलाफ देशभर में 51 मामले दर्ज हैं। मामला इतना संगीन और व्यापक था कि पुलिस के लिए इसे सुलझाना बड़ी चुनौती बन गया।
पुलिस की कार्रवाई
ठगी के इस हाई-प्रोफाइल मामले को सुलझाने के लिए एसपी ने साइबर पुलिस थाना प्रभारी रणवीर सिंह बेनीवाल के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की। महीनों की मेहनत और हाई-टेक तरीकों का इस्तेमाल कर, पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ किया।
टीम ने गिरोह के सरगना सुधीर यादव और उसके मुख्य साथी डॉक्टर आनंद सोनी को धौलपुर से गिरफ्तार किया। सुधीर यादव एक संदिग्ध बैंक खाते का उपयोग कर ठगी करता था, जबकि डॉक्टर आनंद सोनी अपने प्रभाव और ज्ञान का उपयोग कर ठगी की रणनीति बनाता था।
पुलिस भी रह गई हैरान
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि ठगों ने एक बेहद संगठित तरीके से ये जाल फैलाया था। गिरोह के पास न केवल जाली बैंक खाते और डिजिटल उपकरण थे, बल्कि ठगी के लिए मनोवैज्ञानिक रणनीतियां भी थीं। ये खुलासा पुलिस के लिए भी चौंकाने वाला था। डॉक्टर आनंद सोनी जैसे पढ़े-लिखे और प्रतिष्ठित व्यक्ति का इस गिरोह में शामिल होना पुलिस के लिए किसी झटके से कम नहीं था।
अब भी बाकी कई सवाल
दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने ठगी के 10 करोड़ के रैकेट का खुलासा किया। देश के 16 राज्यों में 51 मामले इनके नाम पर दर्ज हैं। लेकिन अब भी कई सवाल हवा में हैं। क्या गिरोह का मास्टरमाइंड पकड़ा जा चुका है? और इस खेल में कौन-कौन शामिल? हनुमानगढ़ पुलिस की इस सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि चाहे अपराध कितना भी संगठित हो, कानून की पकड़ से कोई बच नहीं सकता। लेकिन ये घटना हर नागरिक को सतर्क रहने की चेतावनी भी देती है। सपनों की चमक के पीछे कभी-कभी धोखे का साया छुपा होता है।