Allu Arjun की 'Pushpa' स्टाइल में पूर्व विधायक मलिंगा बने 'Fire', सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर सियासी तकरार
अल्लू अर्जुन के बाद एक अहम खबर राजस्थान की राजनीति से जुड़ी है, जहां भाजपा नेता और पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
राजस्थान की राजनीति में हलचल मचाने वाला एक अहम मामला अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नए मोड़ पर है। भाजपा नेता और पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए मारपीट और एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में जमानत मंजूर कर ली है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने ट्रायल कोर्ट को जमानत की शर्तें तय करने का निर्देश दिया है। हालांकि, इस फैसले ने प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक हस्तक्षेप पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
मार्च 2022 में धौलपुर के बाड़ी डिस्कॉम ऑफिस में बिजली विभाग के एईएन हर्षदापति और जेईएन नितिन गुलाटी के साथ मारपीट का आरोप गिर्राज सिंह मलिंगा और उनके समर्थकों पर लगा था। घटना के बाद बिजली विभाग के कर्मचारियों में भारी आक्रोश था। इस मामले में एससी-एसटी एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ।
सुप्रीम कोर्ट से राहत, लेकिन सवाल बरकरार
राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और इसे राजनीतिक दबाव में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। बावजूद इसके, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मामले पर आगे फैसला करने की जिम्मेदारी दी।
घटना के बाद प्रशासनिक हलचल
मारपीट की घटना ने प्रशासनिक हलचल तेज कर दी थी। तत्कालीन धौलपुर एसपी शिवराज मीणा का तबादला हुआ, जबकि बिजली विभाग के कर्मचारी विरोध प्रदर्शन पर उतर आए। घटना के बाद कुल पांच गिरफ्तारियां हुईं, और मामला राजनीति बनाम प्रशासन का रूप लेने लगा।
राजनीतिक और सामाजिक
गिर्राज सिंह मलिंगा की जमानत ने एक बार फिर राजनीति और प्रशासन के टकराव को उजागर कर दिया है। इस मामले ने साफ कर दिया है कि राजनीति का असर न केवल प्रशासनिक फैसलों बल्कि समाज में कानून के प्रति विश्वास पर भी पड़ता है।
अब सभी की नजरें ट्रायल कोर्ट पर हैं, जहां जमानत की शर्तें और मामले की सुनवाई तय होगी। क्या यह फैसला न्याय की नई मिसाल बनेगा या फिर विवादों का नया अध्याय खोलेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।