राजस्थान से उठी नई बहस, जीएसटी काउंसिल से वन नेशन, वन इलेक्शन तक, उमर अब्दुल्ला ने दिया कूटनीतिक जवाब
वन नेशन, वन इलेक्शन पर पूछे गए सवाल पर उमर अब्दुल्ला ने बड़े सधे हुए शब्दों में कहा, ये विधेयक अभी पेश हुआ है। इसे पास करवाने और राज्यों की सहमति लेने में समय लगेगा।
जोधपुर एयरपोर्ट पर हलचल तेज थी। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का काफिला जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर निकला, समर्थकों की भीड़ और पत्रकारों के सवालों की बौछार ने माहौल को गरमा दिया। उनके इस दौरे का मुख्य उद्देश्य जैसलमेर में होने वाली जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में भाग लेना था, लेकिन असली चर्चा का केंद्र बना "वन नेशन, वन इलेक्शन" विधेयक।
"एक देश, एक चुनाव": बहस की नई जमीन
वन नेशन, वन इलेक्शन पर पूछे गए सवाल पर उमर अब्दुल्ला ने बड़े सधे हुए शब्दों में कहा, "ये विधेयक अभी पेश हुआ है। इसे पास करवाने और राज्यों की सहमति लेने में समय लगेगा।" ये बयान जितना साधारण दिखता है, उतना ही गहरा है। क्या ये संकेत है कि इस विधेयक को लागू करना उतना आसान नहीं जितना केंद्र सरकार सोच रही है?
क्या "वन नेशन, वन इलेक्शन" लोकतंत्र को करेगा मजबूत? - उमर
इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। केंद्र सरकार इसे खर्च बचाने और प्रशासनिक स्थिरता का बड़ा कदम मान रही है। लेकिन क्या ये वाकई लोकतंत्र को सशक्त करेगा, या राज्यों के अधिकारों पर सवाल खड़े करेगा? उमर अब्दुल्ला का बयान इस बात पर जोर देता है कि राज्यों की सहमति और संवैधानिक प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है।
राजस्थान की खूबसूरती और जीएसटी की गंभीरता
जोधपुर से जैसलमेर के रास्ते उमर अब्दुल्ला ने राजस्थान की खूबसूरती की तारीफ की। "यहां की धरती की गर्मजोशी और सांस्कृतिक समृद्धि मन को छू लेती है," उन्होंने कहा।
लेकिन जीएसटी काउंसिल की बैठक, जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे, इस दौरे का असली मकसद है। माना जा रहा है कि इस बैठक में जीएसटी दरों में संभावित बदलाव और ई-कॉमर्स से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी।
राजनीति के तापमान को बढ़ाता संसद विवाद
इस बीच, संसद में राहुल गांधी से जुड़े "धक्का-मुक्की कांड" पर उमर अब्दुल्ला ने कोई टिप्पणी नहीं की। ये चुप्पी भी राजनीति के खेल का हिस्सा हो सकती है।
एक नजर विपक्ष की सोच पर
वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्ष की राय विभाजित है। कुछ इसे केंद्र के अधिकारों का विस्तार मानते हैं, जबकि अन्य इसे देश के आर्थिक विकास का जरिया। उमर अब्दुल्ला के शब्द भले ही संयमित थे, लेकिन उनके बयान ने ये संकेत दिया कि राज्यों के बीच इस मुद्दे पर गहरी बातचीत की जरूरत है।
अगला कदम क्या?
जैसलमेर में जीएसटी काउंसिल की बैठक से जुड़े फैसले और वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक पर केंद्र और राज्यों के बीच बातचीत ये तय करेगी कि ये देश के भविष्य के लिए कितना प्रभावशाली होगा।
क्या हम एक साथ चुनाव के लिए तैयार हैं? - उमर
ये सवाल न केवल विधेयक पर चर्चा का केंद्र है, बल्कि देश के संघीय ढांचे, प्रशासनिक तैयारियों और जनता की राय का भी। उमर अब्दुल्ला का ये दौरा केवल एक बैठक का हिस्सा नहीं है, ये आने वाले बड़े राजनीतिक बदलावों की झलक भी हो सकता है।