राजस्थान की पहली मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को मायके से मिली राजनीति, कर्मभूमि से लेकर शादी तक जानिए उनका सफर
वसुंधरा राजे ने झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया। वो इस सीट से लगातार पांच बार सांसद चुनी गईं। उनकी लोकप्रियता को देख अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 1998-1999 के बीच अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। फिर वसुंधरा राजे को विदेश राज्यीमंत्री का दर्जा दिया गया।
वसुंधरा राजे सिंधिया....आज ये नाम पहचान का मोहताज नहीं है। राजपरिवार की सदस्य, सबसे बड़े सूबे की मुख्यमंत्री, महिलाओं के लिए मिशाल, तमाम उनकी पहचान रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब पहली बार वसुंधरा राजे का नाम अटल सरकार के सामने मुख्यमंत्री की दावेदारी के लिए रखा गया था। तब अटल जी चौंक गए थे। तो चलिए आज हम आपको वसुंधरा राजे की कहानी के रुबरु करवाते हैं...
मायके से मिली राजनीतिक सफर की शुरुआत की प्रेरणा
वसुंधरा राजे की राजस्थान में राजनीतिक सफर की शुरुआत उनके मायके से ही हुई। वसुंधरा ग्वालियर के राजघराने से संबंध रखती हैं। उनका जन्म 8 मार्च, 1956 को मुंबई में हुआ।उनकी शादी 1972 में धौलपुर के राजघराने में हेमंत सिंह से शादी हुई। हालांकि, शादी के एक साल बाद ही दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया। बेटे दुष्यंशत के जन्म के बाद ही वसुंधरा अपने पति से अलग हो गई और अपने मायके ग्वालियर में रहने लगीं। जहां पर उनकी मां विजया राजे बीजेपी से जुड़ी हुई थीं। वसुंधरा ने भी अपनी मां की तरह बीजेपी पार्टी से हाथ मिलाने का फैसला किया।
जब पहले चुनाव में मिली हार
वसुंधरा राजे ने 1984 में राजनीति में अपनी शुरुआत की थी। उन्होंने भिंड से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें अपने पहले ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भैरोसिंह शेखावत की सलाह पर उन्होंने 1985 में धौलपुर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस जीत के कुछ समय बाद वे राजस्थान बीजेपी की प्रदेश उपाध्यक्ष बनीं।
झालावाड़ सीट बनी कर्मभूमि
वसुंधरा राजे ने झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया। वो इस सीट से लगातार पांच बार सांसद चुनी गईं। उनकी लोकप्रियता को देख अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 1998-1999 के बीच अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। फिर वसुंधरा राजे को विदेश राज्यीमंत्री का दर्जा दिया गया।
2003 में राजस्थान की पहली महिला सीएम
वसुंधरा राजे ने राजस्थान की कमान संभालने के साथ ही पूरे प्रदेश का दौरा कर बीजेपी कार्यकर्ताओं को मोबालाइज किया। जीत के बाद भैरोसिंह को उपराष्ट्रपति और जसवंत सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। और फिर वसुंधरा राजे के तौर पर राजस्थान को पहली महिला मुख्यमंत्री मिलीं। राजे इसके बाद 2013 में भी राज्य की मुख्यमंत्री बनीं थी।