संसद में गूंजा राजस्थान की मिट्टी का दर्द, बेनीवाल ने उठाए आपदा और खेजड़ी संरक्षण के मुद्दे, देखें पूरा वीडियो
बेनीवाल ने ये भी प्रस्ताव रखा कि सांसदों को अपने कोटे से आपदा के समय पीड़ित परिवारों की मदद करने का कानूनी अधिकार दिया जाए। उन्होंने कहा, "हमारे पास संसाधन होते हुए भी लोकसेवा में बाधा आती है।
लोकसभा में आज नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल ने आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक पर तीखे और प्रभावी तरीके से अपनी बात रखी। उन्होंने पीड़ित परिवारों के हक और राहत के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए कहा कि आपदाओं से उजड़ चुके परिवारों को त्वरित और पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने मौजूदा मुआवजा राशि को अपर्याप्त बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की ताकि प्रभावित लोग अपने जीवन का पुनर्निर्माण कर सकें।
सांसदों के अधिकारों पर जोर
बेनीवाल ने ये भी प्रस्ताव रखा कि सांसदों को अपने कोटे से आपदा के समय पीड़ित परिवारों की मदद करने का कानूनी अधिकार दिया जाए। उन्होंने कहा, "हमारे पास संसाधन होते हुए भी लोकसेवा में बाधा आती है। अगर सांसदों को सीधे राहत पहुंचाने का अधिकार हो, तो ये ज्यादा प्रभावी होगा।"
कौन कौन लिख रहा हैं
— Choudhary Jasveer singh (@CJsingh_) December 14, 2024
विकास चाहिए लेकिन खेजड़ी की कटाई बर्दाश्त नहीं होगी #पर्यावरण_साथे_हनुमान#पर्यावरण_साथे_हनुमान ? pic.twitter.com/roCBYA3k2g
खेजड़ी बचाने की मुहिम पर केंद्र का ध्यान खींचा
सांसद बेनीवाल ने अपनी राजस्थान की जड़ों से जुड़ी एक और अहम समस्या को उठाया—“खेजड़ी बचाओ आंदोलन।” उन्होंने खेजड़ी के वृक्षों पर हो रहे अतिक्रमण और अंधाधुंध कटाई को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने खेजड़ी को "राजस्थान की पहचान और अनमोल धरोहर" बताते हुए केंद्र सरकार से इसके संरक्षण के लिए ठोस नीति बनाने की अपील की।
प्रकृति और पीड़ित: दोनों के अधिकारों की वकालत
हनुमान बेनीवाल का ये भाषण न सिर्फ आपदा पीड़ितों के अधिकारों की बात करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी उनकी प्रतिबद्धता को दिखाता है। ये एक ऐसा संदेश था जो लोकसेवा, संवेदनशीलता और धरती मां की रक्षा को एक साथ जोड़ता है।