सीरिया में हुआ तख्तापलट, ढह गई असद परिवार की 53 साल पुरानी सत्ता
सीरिया में बड़ा तख्ता पलट देखने को मिला है. सीरिया की सत्ता में 53 साल से काबिज असद परिवार की सत्ता को विद्रोहियों ने उखाड़ फेंका है. फिलहाल असद ने सीरिया छोड़ दिया है और उन्होंने रूस में जाकर शरण ली है.
सीरिया की सत्ता पर 1971 से ही असद परिवार का कब्जा रहा है. 1971 से 2000 तक हाफिज अल हसन ने सीरिया पर शासन किया लेकिन हाशिफ़ की मौत के बाद उनके सबसे छोटे बेटे बशर अल असद ने सीरिया की सत्ता संभाली थी तब से लेकर साल 2024 तक बशर अल असद सीरिया के राष्ट्रपति थे. जिन्होंने हाल में ही सीरिया को छोड़कर रूस भाग गए है.
सीरिया में हुआ तख्तापलट
सीरिया में तख्तापलट हो गया है सीरिया की सत्ता में काबिज 53 साल से काबिज असद परिवार को अब बेदखल कर दिया गया है.सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद अपना देश छोड़कर रूस भाग गए है. विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने असद सरकार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था. पहली बार साल 2011 में असद के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका गया था. जिसके बाद से सीरिया में गृह युद्ध जैसे हालात बन गए थे. तभी से असद को वहां पर सरकार चलाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था.
हयात तहरीर अल-शाम किया विद्रोह
सीरिया की सत्ता में असद परिवार का काफी दबदबा था लेकिन सीरिया में इतनी तेजी से बदलाव होंगे. इसका किसी ने भी अंदाजा नहीं लगाया था. हयात तहरीर अल-शाम ने बसर के खिलाफ 27 नवंबर को जंग छेड़ दी थी. जिसके महज 11 दिनों के बाद बशर अल असद को सीरिया छोड़कर भागना पड़ा.
कई बार पहले हुई तख्तापलट की कोशिश
सीरिया में इससे पहले भी असद की सत्ता को कई बार जड़ से उखाड़ फेंकने की कोशिश की गई लेकिन उस वक्त सभी नाकाम रहे. साल 2011 में असद सरकार के खिलाफ सीरिया में जमकर प्रदर्शन हुआ. मिडिल ईस्ट में उस वक्त की जनता तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर उतरी थी. दशकों से सीरिया की सत्ता पर कब्जा करके बैठी सरकार को उखाड़ फेंकने की जनता ने पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन उसे समय असद ने इस विरोध प्रदर्शन को बेरहमी से कुचल दिया था. जिसका नतीजा यह हुआ की जनता का यह प्रदर्शन गृह युद्ध में बदल गया. इसके बाद सीरिया बीते 14 सालों से गृह युद्ध की आग में धधक रहा था. सीरिया में कत्लेआम हो रहे हैं.
मिडिल ईस्ट में बदलाव का दौर
मिडिल ईस्ट के कई देशों में जब स्प्रिंग की वजह से तानाशाहों को सत्ता से भी दखल किया जा रहा था. उस समय का दौर मिडिल ईस्ट के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय था. क्योंकि मिडिल ईस्ट उस वक्त बदलाव के दौर से गुजर रहा था. मिडिल ईस्ट की कई देशों से तानाशाही लगभग खत्म हो रही थी. इसी बीच सीरिया में भी बशर अल असद के खिलाफ चिंगारी भड़क उठी. फरवरी 2011 में सीरिया के एक स्कूल की दीवार पर कुछ लोगों ने लिखा कि अब तुम्हारी बारी है डॉक्टर. ऐसे लिखने वाले 14 साल के लड़के को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद पुलिस ने उसको टॉर्चर किया. साथ ही उस लड़के के कुछ दोस्तों को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उनको भी बेरहमी से टॉर्चर किया गया. इसके बाद जब यह खबर सीरिया की जनता को लगी. तो सीरिया की जनता सड़कों पर उतर आई और बशर अल सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुआ लेकिन बशर ने इस प्रदर्शन को भी बड़ी क्रूरता से कुचल दिया.
असद की प्रदर्शन पर पहली प्रतिक्रिया
2011 में हुए इस विरोध प्रदर्शन पर राष्ट्रपति ने प्रतिक्रिया देते हुए इस विरोध प्रदर्शन को विदेशी साजिश करार दिया था. असद ने उस वक्त अरब स्प्रिंग का मजाक उड़ाते हुए विरोध प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों की तुलना कीड़े मकौड़ौं से की थी. उस वक्त असद ने अपने सरकार के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को खत्म करने के लिए देश की सेवा को जमीन पर उतार दिया था. साथ ही प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए और अपनी सत्ता को बचाने के लिए असद ने सीरिया में कत्लेआम किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कि कार्यवाही में 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. जबकि इसके उलट इसी दौरान आतंकियों ने करीब 1200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद पूरी दुनिया में असद सरकार पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे.
असद का रूस और ईरान ने दिया साथ
साल 2015 आते-आते सीरिया के कई इलाकों में विद्रोहियों ने अपना कब्जा कर लिया था. उस वक्त लगभग ये तय माना जा रहा था कि असद का राज्य खत्म होने वाला है. सीरिया में असद के परिवार और उनके करीबियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत भी हो रही थी.असद अपने ही देश में गिरते हुए नजर आ रहे थे. वह कमजोर पड़ रहे थे. दिन पर दिन विद्रोही उन पर हावी हो रहे थे लेकिन उस समय रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान ने असद का समर्थन किया और सीरिया में अपनी सेना उतार कर विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमले भी किए. जिसके चलते 2015 में असद की सत्ता जाते-जाते बची थी.
आखिर में असद को सीरिया से भागना पड़ा
साल 2011 से विद्रोहियों का सामना करते-करते असद ने अपनी सरकार को बचाया. तो फिर साल 2024 में ऐसा क्या हुआ कि असद अपनी सत्ता को बचा नहीं सके. जानकारों की मानें तो असद के पास वफादार और मजबूत साथी थे. साथ ही असद की सेवा में रूस और ईरान के भी लोग मौजूद थे. जिसकी वजह से वह विद्रोहियों को लगातार कुचलने में कामयाब रहे लेकिन इधर ईरान का हिज्बुल्लाह से लड़ाई करना और उधर रूस का यूक्रेन से युद्ध होना इसकी एक बड़ी वजह बताया जा रहा है. क्योंकि पहले जब असद पर कोई भी परेशानी आई तो इन दोनों देशों ने खुलकर असद का साथ दिया था. जैसा कि इस बार नहीं हो पाया क्योंकि पहले की अपेक्षा इस बार परिस्थितियां उलट थी. जिसका नतीजा यह हुआ कि विद्रोही अबकी बार कामयाब हुए और असद को सीरिया से अपनी सत्ता छोड़कर भागना पड़ा. हालांकि असद को रूस ने शरण दी है.
रिपोर्ट- ऋषभ कांत छाबड़ा