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Rajasthan By-Election: रेवंत डांगा बने 'खींवसर किंग', किला नहीं बचा पाये हनुमान बेनीवा, पत्नी को मिली करारी हार

राजस्थान के खींवसर उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी RLP को करारी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी के रेवंत राम डांगा ने कनिका बेनीवाल को हराया। जानें, चुनाव परिणामों का पूरा विश्लेषण और बेनीवाल के लिए इसके मायने।

Rajasthan By-Election: रेवंत डांगा बने 'खींवसर किंग', किला नहीं बचा पाये हनुमान बेनीवा, पत्नी को मिली करारी हार

राजस्थान उपचुनाव को लेकर दो महीने से सियासी पारा चढ़ा हुआ थ। एक तरफ दौसा से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा चुनाव हार गए तो झुंझुनू सीट पर कांग्रेस ने अपनी विरासत खो दी। लेकिन सबसे बड़ी हार खींवसर सीट पर हुई। ‌ यहां पर हनुमान बेनीवाल का किला ढह चुका है। उपचुनाव मतगणना के सभी 20 राउंड की गिनती पूरे होने के बाद बीजेपी प्रत्याशी रेवंत रामडांगा  ने हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को 13000 वोटो से शिकस्त दे दी है। बता दें, इस सीट पर 2008 से आरएलपी का कब्जा था लेकिन बीजेपी हनुमान बेनीवाल के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब रही। 

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 बेनीवाल का इमोशनल कार्ड नहीं आया काम

गौरतलब है, हनुमान बेनीवाल ने पत्नी कनिका बेनीवाल को टिकट देकर इमोशनल कार्ड खेला था लेकिन इस बार जनता ने रेवंत राम डांगा  का साथ दिया और उन्हें विजयी बनाया। विधानसभा चुनावों में रेवंत डांगा ने हनुमान बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी थी और कभी लाखों वोटों से जीतने वाले बेनीवाल  मात्र 2000 वोटो से जीतने में कामयाब रहे थे लेकिन इस बार रेवंत राम डांगा ने विधानसभा चुनावों की हार का बदला ले लिया। 

गढ़ बचाने में कामयाब नहीं आरएलपी 

उपचुनाव प्रचार में बीजेपी से ज्योति मिर्धा और कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा ने हनुमान बेनीवाल पर जमकर निशाना साधा था और कहा कि इस बार उनकी हालत टाइट है। इसलिए सुबह चार बजे तक लोगों के पैर पकड़ रहे हैं। जुबानी जंग इस कदर बढ़ी दिव्या मदेरणा को बेनीवाल ने कुएं में कूदकर मरने की सलाह दी थी। जिसके बाद दोनों के बीच जमकर सियासी बयानबाजी हुई। ज्योति मिर्धा ने दिव्या मदरेणा का समर्थन करते हुए का था जब किसी और पार्टी के नेता उभरने लगते हैं तो बेनीवाल उसे काटने के लिए काम करने लगते हैं। दिव्या भी उसी लिस्ट में शामिल हैं। 

खींवसर की हार बेनीवाल के लिए झटका

बता दें, खींवसर का चुनाव हनुमान बेनीवाल के लिए गढ़ बचाने की चुनौती थी हालांकि इस हार ने विधानसभा में आरएलपी का अस्तित्व खत्म कर दिया है। अब केवल नागौर से बेनीवाल सांसद है। बहरहाल, देखना होगा वह आगे के लिए क्या रणनीत अपनाते हैं।