Jaipur News : राजस्थान में "आवारा" शब्द पर विवाद, गौमाता पर राजनीति! बीजेपी पर जूली का तीखा प्रहार, जानें पूरा मामला
जूली ने अपने आरोपों के समर्थन में एक गौ-तस्करी के मामले का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि 2021 में करौली जिले में नाजिम नामक व्यक्ति को गौ-तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
राजस्थान की राजनीति में गाय एक बार फिर गर्मागर्म मुद्दा बन गई है। भजनलाल सरकार द्वारा गाय को 'आवारा' कहने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने विपक्ष को हमलावर होने का मौका दे दिया है। नेता विपक्ष टीकाराम जूली ने इस फैसले को बीजेपी की "मुंह में राम, बगल में छूरी" वाली नीति बताया है। उनका आरोप है कि बीजेपी गाय के नाम पर सिर्फ राजनीति करती है, उसकी असली चिंता गायों की भलाई के लिए नहीं है।
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बीजेपी पर टीकाराम जूली का तीखा प्रहार
जूली ने अपने आरोपों के समर्थन में एक गौ-तस्करी के मामले का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि 2021 में करौली जिले में नाजिम नामक व्यक्ति को गौ-तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। निजी और उच्च न्यायालय से जमानत नहीं मिलने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जूली का आरोप है कि राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आरोपी की जमानत याचिका का विरोध करने के लिए कोई वकील या वकालतनामा तक नहीं भेजा, जिसके परिणामस्वरूप आरोपी को जमानत मिल गई। जूली के अनुसार, ये घटना सरकार की गायों के प्रति कथित चिंता की पोल खोलती है।
"गाय के नाम पर राजनीति करने वालों को इस मामले में अपनी जवाबदेही तय करनी होगी।
— Tika Ram Jully (@TikaRamJullyINC) October 28, 2024
मुंह में राम, बगल में छूरी' यह है बीजेपी वालों की असलियत!
साल 2021 में करौली जिले में राजस्थान पुलिस ने नाजिम नामक शख्स और उनके कुछ साथियों को गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपियों को 26… pic.twitter.com/vd29lSywFo
'आवारा' शब्द पर प्रतिबंध
जूली ने सरकार के 'आवारा' शब्द पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ नाम बदलने में माहिर है, असली समस्याओं का समाधान ढूंढने में नहीं। उनका कहना है कि अगर बीजेपी सच में गायों की इज्जत करती तो आरोपी को जमानत नहीं मिलती।
गाय को लेकर महासंग्राम
दूसरी ओर, भजनलाल सरकार ने उपचुनाव से पहले इस फैसले को गायों के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया है। सरकार के आदेशानुसार, अब सभी सरकारी दस्तावेजों में 'आवारा' शब्द की जगह 'निराश्रित गौवंश' शब्द का प्रयोग किया जाएगा। इस फैसले के बाद राजस्थान की राजनीति में गाय को लेकर एक नया महासंग्राम शुरू हो गया है, जिसका असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।