Jaipur News: पंडित जी के विचार देशभक्तों के लिए जीवन मंत्र की तरह - शेखावत, दीनदयाल उपाध्याय की 108वीं जयंती पर बोले
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पंडित जी का एकात्म मानववाद आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ा ऐसा वैचारिक विवेक है, जो एक ओर भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ा है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार देशभक्तों के लिए जीवन मंत्र की तरह हैं। हम सभी का संकल्प होना चाहिए कि हम भारत की प्रगति के लिए दीनदयाल जी द्वारा दिखाए गए मार्ग को ही नए भारत के पुनर्निर्माण का मार्ग बनाएं।
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धानक्या स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 108वीं जयंती पर ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और पंडित दीनदयाल उपाध्याय’ स्मृति व्याख्यानमाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए शेखावत ने कहा कि दीनदयाल जी का अंत्योदय दर्शन भारतीय नीति और परंपरा की शपथ की तरह है, जिसमें भारत के विकास और समृद्धि की कोई तस्वीर, कोई संकल्प तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक वो परिवर्तन, वो समृद्धि, विकास का वो दावा समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन को न छुए।
भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ा है
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पंडित जी का एकात्म मानववाद आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ा ऐसा वैचारिक विवेक है, जो एक ओर भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ा है, तो दूसरी ओर इसमें भविष्य की चिंताएं भी हैं। शेखावत ने कहा कि दीनदयाल जी की चिंतन प्रक्रिया को देखें तो हमें कुछ गहन और सूत्रबद्ध बातें समझ में आती हैं। भारत की आजादी के डेढ़ दशक के अनुभव के बाद दीनदयाल जी के मन में ये बात बहुत उठने लगी कि इस आजादी में स्व कहां है। वे व्यवस्था से लेकर समाज तक 'पर' की भावना को लगातार हावी होते देखते रहे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोच, विचार और व्यवस्था तीनों स्तरों पर विकसित औपनिवेशिक अवधारणाओं के प्रभाव ने उन्हें चिंतित कर दिया है। उन्होंने महसूस किया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकेगा।
जो कुछ भी है वो ईश्वर का है
शेखावत ने कहा कि पंडित जी ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण समग्र, एकीकृत और एकीकृत है। हम ब्रह्मांड को संपूर्ण मानते हैं। हमारे उपनिषद में कहा गया है - ईशावास्यमिदं सर्वम्, यानी जो कुछ भी है वो ईश्वर का है।
गोस्वामी तुलसीदास ने इसी बात को लोकोक्तिपूर्ण ढंग से कहा है- सियाराम माये सब जग जानी। बाद में आचार्य विनोबा भावे ने इसे सरल तरीके से समझाते हुए कहा कि सारी धरती गोपाल की है।
शेखावत ने कहा कि दीनदयाल जी कहते हैं कि ब्रह्मांड एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। यहां कोई विभाजन नहीं है, यहां अखंड परस्पर निर्भरता है। इसलिए भारत को पश्चिम की खंडित दृष्टि को छोड़कर दुनिया को देखना होगा और अपनी समझ और संस्कृति से जुड़ना होगा। गोस्वामी जी ने मानस में कहा है- कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। लेकिन अब लोग इसके विपरीत मानने लगे हैं। आज धन ही प्रधान है। धन को लेकर पंडित जी के विचार वर्तमान संदर्भ में काफी प्रासंगिक हैं।
हर व्यक्ति को ये छह चीजें मिलनी चाहिए
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पंडित जी ने कहा था कि हमारी अर्थव्यवस्था में सर्वे भवन्तु सुखिनः की गारंटी होनी चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री जी ने इसे सरल करते हुए सबका साथ, सबका विकास कहा है। दीनदयाल जी कहते थे कि अर्थव्यवस्था में छह चीजों की पूर्ति की गारंटी होनी चाहिए- रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा। देश के हर व्यक्ति को ये छह चीजें मिलनी चाहिए। मुझे ये कहते हुए खुशी हो रही है कि इसी सोच के आधार पर मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार सभी लोगों के लिए इन छह गारंटियों की बात कर रही है।
शेखावत ने कहा कि राजस्थान का धरतीपुत्र होने के नाते मैं सौभाग्य मानता हूं अपना कि मैं उस धरती से जुड़ा हूं, मेरा जन्म वहां हुआ है जहां पंडित दीनदयाल जी के शुरुआती कई वर्ष बीते। उनकी शिक्षा के साथ राष्ट्रवादी संस्कार की सुगढ़ता में राजस्थान की मिट्टी की महक शामिल है।