नीमूचाना किसान हत्याकांड को 99 वर्ष हुए पूरे, जन आंदोलन शताब्दी वर्ष समारोह गांव में आयोजित
अलवर। अंग्रेजों के शासनकाल में अलवर जिले के एक गांव को चारों तरफ से घेर कर आग के हवाले कर दिया गया था इस घटना में कई अंग्रेजों द्वारा कई किसानों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
अलवर। अंग्रेजों के शासनकाल में अलवर जिले के एक गांव को चारों तरफ से घेर कर आग के हवाले कर दिया गया था इस घटना में कई अंग्रेजों द्वारा कई किसानों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हत्याकांड की गूंज विदेशों तक गई थी, और उस समय की अंग्रेजसरकार को झुकना पड़ा था। नीमूचाना हत्याकांड को 99 वर्ष पूरे हो चूके है, नीमूचाना धरोहर संरक्षण समिति एवं इतिहास संकलन समिति, जयपुर प्रांत के संयुक्त तत्वाधान में नीमूचाना जन आंदोलन शताब्दी वर्ष समारोह गांव में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम उपस्थित रहे। मंचासिन अतिथियों में इतिहास संकलन समिति के सह संगठन सचिव राजस्थान क्षेत्र के डॉ राकेश शर्मा और हत्याकांड की प्रत्यक्षदर्शी 111 वर्षीय नानूरी देवी मौजूद रहीं। अपने उद्बोधन में क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने इतिहास में घटित हुई इस घटना पर दुःख प्रकट करते हुए 111 वर्षीय प्रत्यक्षदर्शी नानूरी देवी का आभार व्यक्त किया।साथ ही नीमूचाना धरोहर संरक्षण समिति बनाने के लिए समिति के सदस्यों का भीआभार जताया।
14 मई 1925 में किसानों पर बरसाई गई थी गोलियां
बता दें कि 14 मई 1925 को एक दुर्भाग्यपूर्ण हत्याकांड हुआ जहां सामान्य मांगों को लेकर लोग प्रशासन के पास गये हुए थे। वहां पर बिना कोई सूचना चेतावनी के अंधाधुंध गोलियां चलाकर उन्हे मौत के घाट उतार दिया जो क्रूरता थी। यह बात कहते हुए क्षेत्रीय प्रचारक ने संघ की स्थापना और घटना पर बात करते हुए कहा कि, मेरी प्रेरणा को 99 वर्ष हो चूके है और घटना को हुए भी 99 वर्ष हो चूके है। उन्होने कहा कि आज हम संकल्प ले सकते है कि सम्पूर्ण विश्व के अंदर इस बात को स्थापित कर देंगे की अंग्रेज बहुत क्रूर थें। इस अवसर पर उन्होने कहा, दुष्ट प्रवृति के लोगों ने हमारे इतिहास को तोडमरोड कर पेश किया, इस देश ने बहुत बलिदान दिया है।
हमे प्रकृति का शोषण नहीं करना चाहिए
उन्होंने कहा हमारे पूर्वजों ने देश को केवल देश नहीं माना इसे मातृभूमि माना आज भी हम इसे माता कहते है। हमारे पूर्वजों के इस बात के पीछे भाव था देश हमे देता है सबकुछ, हमे भी तो कुछ देना सीखना चाहिए। उन्होंने कहा हमने सम्पूर्ण प्रकृति के साथ रिश्ता जोडा, हमारे यहां परिवार की कल्पना पत्नी, बच्चे नहीं था, घर में रहने वाली बिल्ली भी परिवार का सदस्य है। इसलिए तो गौ माता है। उन्होंने कहा पहाड़, नदी हमें प्राणवायु देते है, हमें प्रकृति का शोषण नहीं करना चाहिए।
कार्यक्रम में बडी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया। सभा स्थल पर मौजूद स्थानीय लोगों ने राजस्थान सरकार से इस गांव को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिए जाने की मांग की।
नीमूचाना के किसानों पर हुई बर्बरता कुछ इस प्रकार है
99 वर्ष पहले भारत में अंग्रेजों के शासन काल में किसानों का ऐसा आंदोलन हुआ जिसकी गूंज देश ही नहीं विदेश में भी रहीं। आजादी से पूर्व अलवर के नीमूचाना गांव में हुए किसान आंदोलन की घटना के दौरान अलवर सरकार की ओर से जारी एक फरमान ने गांव को उजाड बना दिया। तत्कालीन अलवर सरकार की ओर से किसानों पर दोहरा कर लगा दिया गया। राजपूत किसानों ने सरकार से गुहार लगाई साथ ही खुलकर विरोध किया, जिसका परिणाम सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए गांव को घेर कर किसानों को अंधाधुंध गोलियां से भून दिया। सरकार की इस दमनात्मक कार्रवाई में 250 किसानों की मौत हुई तथा सैकडों की संख्या में किसान घायल हुए।
महात्मा गांधी ने भी की थी घटना की निंदा
आजादी से करीब 24 साल पहले वर्ष 1923- 24 में अंग्रेजी सरकार द्वारा दोहरे कर लगाने के खिलाफ लामबंद हुए राजपूत किसानों पर हुई बर्बरता के समाचार राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए जिसमें इस वीभत्स हत्याकांड की तुलना जलिया् वाला बाग कांड से की गई।सरदार बल्लभभाई पटेल सहित महात्मा गांधी ने भी इस हत्याकांड की कठोर शब्दो में निंदा की।