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Rajasthan By-Election: देवली उनियारा से लेकर दौसा तक, इन सीटों पर रहेगी नजर, रिजल्ट से पहले जानें समीकरण

राजस्थान उपचुनाव 2023 के नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे। देवली उनियारा, दौसा, खींवसर, झुंझुनूं जैसी हॉट सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर। पढ़ें पूरी अपडेट।

Rajasthan By-Election: देवली उनियारा से लेकर दौसा तक, इन सीटों पर रहेगी नजर, रिजल्ट से पहले जानें समीकरण

बस कुछ घंटे और महीनों से जारी सियासी खेल को उसका राजा मिल जायेगा। महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा और उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजे 23 नवंबर को आयेंगे। तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी दल जीत का दंभ भर रही हैं। इसी बीच सबसे ज्यादा चर्चा राजस्थान की हो रही है। जहां, देवली उनियारा सीट पर हुए थप्पड़कांड के बाद समीकरण बदल सकते हैं। साथ ये रिजल्ट कांग्रेस-बीजेपी  की लोकप्रियता का अंदाजा भी लगेगा। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तो लोकसभा इलेक्शन में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था।

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बीजेपी-कांग्रेस में कौन मारेगा बाजी

किसी भी दल की जीत चुनाव की शुरुआत से लेकर अंत तक चलने वाली परिस्थितयां करती हैं। उम्मीदवारों की घोषणा से पहले कांग्रेस चार  सीटों पर मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन जैसे-जैसे उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया बीजेपी से कांग्रेस पिछड़ती नजर आई। सबसे पहले बात अगर रामगढ़ सीट की करें तो यहां से कांग्रेस ने दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे आर्यन जुबेर को मैदान में उतारा है। वहीं, बीजेपी ने सुखवंत सिंह को। ये सीट मुस्लिम बहुल है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कांग्रेस यहां बढ़त बना सकती है। 

दौसा सीट पर मुकाबला टाइट

दौसा सीट उपचुनाव की हॉट सीट बनी हुई है। यहां से कांग्रेस ने सचिन पायलट के करीबी डीसी बैरवा और बीजेपी ने किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा  मैदान में उतारा है। कहा जा रहा था शंकरलाल शर्मा टिकट कटने से ब्राह्मण मतदाता नाराज है लेकिन चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ा स्थिति साफ होती गई। इस सीट पर पायलट ने पूरा जोर लगाया। उन्होंने साभाओं से लेकर नुक्कड़ सभाओं में प्रतिभाग किया। हालांकि जिस तरह किरोड़ीलाल मीणा ने दौसा में प्रचार किया उससे यहां बीजेपी जीत सकती है। 

देवली उनियारा सीट पर टिकी नजर 

इस सीट पर बीजेपी ने राजेंद्र गुर्जर तो कांग्रेस ने केसी मीणा को मैदान में उतारा हालांकि मुकाबला दिलचस्प नरेश मीणा के निर्दलीय मैदान में उतरने से हुआ। वहीं मतदान के दिन हुए थप्पड़कांड ने इस सीट को और खास बना दिया है। यहां पर फाइट समय के साथ नरेश मीणा वेस बीजेपी की हो गई थी। अगर मीणा वोटों को बिखराव होता है तो बीजेपी को फायदा मिलेगा। 

खींवसर सीट में बेनीवाल मजबूत 

खींवसर सीट पर मुकाबला टाइट माना जा रहा था। यहां से आरएलपी ने कनिका बेनीवाल, बीजेपी ने रेवंत राम डांगा तो कांग्रेस ने रत्न चौधरी पर दांव लगाया था। समय के साथ इस सीट पर फाइट बीजेपी वेस बेनीवाल का हो गया है। बीते विधानसभा चुनावों में डांगा हनुमान बेनीवाल को कड़ी चुनौती देने में कामयाब रहे थे, ऐसे में ये सीट फंसी हुई है। 

झुंझुनूं सीट में राजेंद्र गुढ़ा बिगाड़ेंगे खेल 

झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस मजबूत थी लेकिन वक्त के साथ राजेंद्र गुढ़ा का निर्दलीय मैदान में उतरना पार्टी के लिए सिरदर्द बन गया। एससी और मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा गुढ़ा को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी इस सीट पर बाजी मार सकती हैं। यहां पर कांग्रेस वोटर्स ओला परिवार को टिकट देने से भी खुश नहीं थे। 

सलूंबर और चौरासी सीट 

सलूंबर सीट बीजेपी के खाते में थी। जहां दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांति मीणा को टिकट दिया गया। बीजेपी के सहानूभूति लहर दिखाई दे रही है। यहां पर बीएपी और कांग्रेस की रेशमा मीणा ने जोर लगाया है लेकिन माहौल बीजेपी के पक्ष में बनता दिखाई दे रहा है। इससे इतर चौरासी सीट पर बीएपी मजबूत दिखाई दे रही है। यहां पर विधानसभा चुनावों में राजकुमार रोत ने 70 हजार वोटों से दर्ज की थी हालांकि इस बार ऐसा होना मुश्किल लग रहा है। यहां बीएपी को बीजेपी ने टक्कर दी है।