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Rajasthan By-Election: किरोड़ी लाल मीणा का जादू फीका पड़ा, दौसा में भाई को नहीं दिला पाए जीत

राजस्थान के दौसा उपचुनाव में कांग्रेस के दिनेश बैरवा ने जीत दर्ज की। सचिन पायलट का जादू चला और किरोड़ी लाल मीणा को हार का सामना करना पड़ा। जानें, चुनाव परिणामों का पूरा विश्लेषण और राजनीतिक समीकरण।

Rajasthan By-Election: किरोड़ी लाल मीणा का जादू फीका पड़ा, दौसा में भाई को नहीं दिला पाए जीत

राजस्थान की सात सीटों पर हुए उपचुनाव में सबसे हॉट सीट दौसा थी। यहां पर प्रत्याशियों से ज्यादा कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सामने विरासत बढ़ाने की चुनौती थी। बीजेपी ने यहां से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को प्रत्याशी बनाया था। वहीं, कैबिनेट मंत्री ने भी भाई के लिए प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यहां तक उन्होंने जनता से वोट की भिक्षा भी मांगी थी लेकिन किरोड़ी लाल का जादू दौसा सीट पर नहीं चला और यहां से जगमोहन मीणा को हार का सामना करना पड़ा। बता दें, कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा ने 2000 वोटो से जीत दर्ज की। जगमोहन मीणा को 73000 तो बैरवा को 75000 वोट मिले। यहां पर सचिन पायलट का जादू काम कर गया। 

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किरोड़ी लाल मीणा की राजनीति पर असर 

उपचुनाव की शुरुआत से कहा जा रहा था कि ये इलेक्शन दो प्रत्याशियों के बीच नहीं बल्कि किरोड़ीलाल मीणा-पायलट के बीच थे। दौसा में मिली हार के बाद किरोड़ीलाल का सियासी कद भी तय होगा। दौसा से पहले उनके नेतृत्व में पूर्वी राजस्थान की कई सीटों पर लोकसभा चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। एक बार फिर पार्टी ने किरोड़ी लाल पर भरोसा जताते हुए दौसा सीट सौंपी थी लेकिन यहां पर भी उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। 

पायलट के फींका पड़ा किरोड़ी का जादू 

दौसासीट पर गुर्जर और मीणा मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी मानी जाती है। यहां से सचिन पायलट लोकप्रिय नेता हैं। सीट की अहमियत को समझते हुए कांग्रेस ने सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। यही वजह रही उन्होंने एक एक दिन में 18-18 सभाएं की।  उपचुनाव के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ और सचिन पायलट के बीच जुबानी जंग भी हुई थी। ऐसे में कहा जा रहा था कि यह चुनाव पायलट को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है लेकिन जनता ने एक बार फिर पायलट के ऊपर भरोसा जताया है और डीसी बैरवा को विजयी बनाया।