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Rajasthan By-Election: 'थप्पड़ कांड' की वजह से चुनाव हारे नरेश मीणा? इन फैक्टर ने डाला जबरदस्त प्रभाव

राजस्थान उपचुनाव में देवली उनियारा सीट पर नरेश मीणा के थप्पड़ कांड का असर, बीजेपी की जीत, नरेश मीणा की हार के कारणों का विश्लेषण। जानिए कैसे बदले चुनावी समीकरण।

Rajasthan By-Election: 'थप्पड़ कांड' की वजह से चुनाव हारे नरेश मीणा? इन फैक्टर ने डाला जबरदस्त प्रभाव

राजस्थान में उपचुनाव के दौरान देवली उनियारा सीट पर हुए थप्पड़ कांड की गूंज देशभर में सुनाई दी थी। नरेश मीणा को उम्मीद थी की जेल जाने के बाद उनका राजनीतिक भविष्य सुधरेगा लेकिन उनकी ख्वाहिश अधूरी रह गई और इस सीट पर बीजेपी से राजेंद्र गुर्जर ने जीत दर्ज की है। एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भले जेल में बंद हो लेकिन उन्होंने चुनाव का इतिहास जरूर पलट दिया। इस सीट पर लड़ाई बीजेपी-कांग्रेस की नहीं बल्कि बीजेपी वेस नरेश मीणा की थी। नरेश बीजेपी को टक्कर देने में कामयाब रहे और वह वोट पाने के मामले में दूसरे नंबर पर रहे। नरेश मीणा के कारण कांग्रेस के वोटों का बिखराव हुआ और बीजेपी को फायदा मिला। यही वजह रही है 2013 के बाद इस सीट पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही। 

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राजेंद्र गुर्जर के जीतने के 5 बड़े कारण

1) बीजेपी ने देवली उनियारा सीट पर टिकट सोच-समझकर दिया था। यहां किसी अन्य नेता पर दांव लगाने की बजाय बीजेपी ने टोंक निवासी राजेंद्र गुर्जर चुना। जो इस सीट की लोकल राजनीति से भली-भांति परिचित थे। यही वजह रही, चुनाव में उन्हें इसका फायदा मिला। 

2) राजेंद्र गुर्जर बीजेपी ने बडे़ नेताओं में शुमार हैं लेकिन वह जनता के बीच लो प्रोफाइल वाले नेता हैं। जिसने मिलने के लिए लोगों को इंतजार नहीं करना पड़ता। ये जुड़ाव जनता को खूब पसंद आया और उन्होंने राजेंद्र गुर्जर को अपना नेता चुना। 

3) नरेश मीणा ने निर्दलीय मैदान में उतकर भले कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया हो लेकिन ये समीकरण बीजेपी के लिए मुफीद साबित हुए। मीणा वोटर्स के बंटवारे ने यहां पर बीजेपी को बढ़त दिलाई।

नरेश मीणा के हार के कारण

नरेश मीणा का सबसे बड़ा बैक लॉक रहा वह भले देवली उनियारा सीट से चुनाव लड़ रहे हो लेकिन वह टोंक जिले से ताल्लुक नहीं रखते हैं। जबकि राजेंद्र गुर्जर टोंक जिले के लोकल नेता है। जो यहां की राजनीति की हर नस जानते हैं। 

नरेश मीणा बीजेपी-कांग्रेस दोनों के साथ रहे हैं। उन्होंने किरोड़ीलाल मीणा का करीबी बताया जाता है तो कांग्रेस में वह सचिन पायलट के करीबी बताए जाते हैं। बागी और दबंग छवि ने नरेश मीणा को नुकसान पहुंचाने का काम किया। 

समरवती गांव में हुई हिंसा के कारण कई खंडों में नरेश मीणा के खिलाफ निगेटिव वोटिंग भी हुई जिसका असर पड़ा। वहीं, उन्हें अपने नाम पर 69000 वोट मिले। जबकि कांग्रेस का वोट उनके हिस्से नहीं गया जो उनकी हार का कारण बना।