Rajasthan By-Election: रंग लाई सीएम भजनलाल शर्मा की मेहनत ! औंधे मुंह गिरी कांग्रेस, बेनीवाल भी नहीं बचा पाये किला
Rajasthan By-election: राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की, कांग्रेस को चारों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी लाल मीणा को भी झटका लगा। जानिए विस्तृत चुनाव परिणाम और विश्लेषण।
राजस्थान उपचुनाव के रिजल्ट आ चुके हैं। जहां भजनलाल सरकार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया। बीजेपी ने सलूंबर सीट जीतने के सात झुंझुनूं, रामगढ़ और देवली उनियारा सीट पर भी कब्जा कर लिया हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में चार सीटें जीतने वाली कांग्रेस केवल एक पर सिमट के रह गई। इतना ही नहीं बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल का गढ़ खींवसर में भी बीजेपी ने सेंध लगा दी।
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दिग्गज नेता न बचा पाए अभेद किला
सात सीटों पर हुआ उपचुनाव हनुमान बेनीवाल, गोविंद सिंह डोटासरा, और मदन राठौड़ के लिए अग्नि परीक्षा से काम नहीं था। हनुमान बेनीवाल के सामने अस्तित्व बचाये रखने की चुनौती थी तो गोविंद सिंह डोटासरा के सामने लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की। वहीं बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के सामने भजनलाल सरकार के 10 महीने के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देखना था कि सरकार उनके कामों से कितना खुश है। इससे इतर सबसे बड़ी हार दौसा में देखने को मिली। जहां कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा चुनाव हार गए। यहां से कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा ने जीत हासिल की उन्हें सचिन पायलट का करीबी माना जाता है।
किरोड़ी लाल की राजनीति पर असर
माना जा रहा था यह चुनाव किरोड़ी लाल मीणा की राजनीति की दिशा भी तय करेगा क्योंकि लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्वी राजस्थान की जिम्मेदारी ली थी लेकिन बीजेपी को हर का सामना करना पड़ा था। इसके बाद पार्टी ने एक बार फिर विश्वास जताते हुए उनके भाई जगमोहन मीणा को दौसा से टिकट दिया था लेकिन अब वह यहां से भी चुनाव हार गए। चुनावी हार के बाद किरोड़ी लाल मीणा ने दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि मैं घर-घर वोट की भीख मांगी लेकिन लोगों का दिल नहीं पसीजा।
हार के बाद दुखी हुए हनुमान बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल से बीजेपी के रेवंत डांगा ने बीते विधानसभा चुनाव का बदला ले लिया। 2023 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल केवल 2000 वोटो से जीते थे। बीजेपी ने बेनीवाल को हराने के लिए फिर से रेवंत डांगा को टिकट दिया और इस बार उन्होंने जीत हासिल की। बता दें, हनुमान बेनीवाल ने काउंटिंग पूरी होने से पहले हार स्वीकार कर ली थी और कहा कि कांग्रेस और बीजेपी ने मिलकर उन्हें हराने का काम किया है। इतना ही नहीं यह कहकर उन्होंने दरवाजा भी बंद कर लिया था।
रामगढ़ सीट पर भी बीजेपी का कब्जा
रामगढ़ सीट कांग्रेस के खाते में थी। विधायक जुबेर खान के निधन के बाद यहां से कांग्रेस ने उनके बेटे आर्यन खान को प्रत्याशी बनाया था। शुरू से लेकर वह आखरी तक आगे थे लेकिन लास्ट राउंड में बीजेपी के सुखवंत सिंह बाजी मार ले गए और उन्होंने यह सीट जीत ली।
झुंझनूं सीट पर खत्म ओला परिवार का जादू
दौसा के अलावा झुंझुनू विधानसभा सीट भी चर्चा में रही। यहां से बीजेपी ने राजेंद्र भांपू को प्रत्याशी बनाया था। जिन्होंने अमित ओला को हरा दिया। झुंझुनू कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। यहां पर 20 सालों से कांग्रेस का कब्जा था लेकिनर बीजेपी ने किले को भेजते हुए जीत का परचम लहराया।