Rajasthan News: बीजेपी का 'पंच' कांग्रेस नॉकआउट! जल्द होगा बदलाव? पढ़ें खबर
राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत, कांग्रेस पर लग रहे मैच फ़िक्सिंग के आरोपों में दम है? अशोक गहलोत, सचिन पायलट की चुप्पी और हनुमान बेनीवाल के गढ़ में सेंध की पूरी कहानी। जानें चुनाव परिणामों का राजस्थान की राजनीति पर क्या होगा असर?
राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने पांच सीटें जीतकर इतिहास रच दिया तो कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल अपना गढ़ को बचाने में नाकामयाब रहे। बेनीवाल तो केवल एक सीट हारे हैं लेकिन कांग्रेस के हिस्से से बीजेपी तीन सीट जीतने में कामयाब रही। ऐसे में लोकसभा चुनाव में 11 सीटें जीतने वाली कांग्रेस उपचुनाव में फिसड्डी क्यों साबित हुई, इस हार का कसूरवार कौन है। ऐसे कई सवाल है जो अभी भी लोगों के जहन में घूम रहे हैं।
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उपचुनाव बाद भी मैच फिक्सिंग की चर्चा
उपचुनाव में टिकट वितरण के दौरान कांग्रेस पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे थे। इतना ही नहीं कहा जा रहा था, कांग्रेस ने जानबूझकर उन प्रत्याशियों पर दाव लगाया जिनके जीतने के चांसेस बिल्कुल ना के बराबर थेष इसका सबसे बड़ा उदाहरण देवली उनियारा सीट दी गयी। जहां बीजेपी ने जीत हासिल की तो निर्दलीय प्रत्याशी 60000 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे और तीसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार केसी मीणा थे। उपचुनाव में चार सीटें ऐसी थी जहां कांग्रेस की जमानत जप्त हो गई।
कैसे चर्चा में आया मैच फिक्सिंग ?
मैच फिक्सिंग राजस्थान की सियासत में प्रयोग होने वाला कोई नया शब्द नहीं है। 2023 में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही और कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई। एक तरफ भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री का पद संभालते हैं तो दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष के लिए टीकाराम जूली को चुना जाता है। तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत अब पूर्व मुख्यमंत्री है लेकिन गोविंद सिंह डोटासरा अभी भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बरकार है।
चाहे किरोड़ी लाल मीणा हो या वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया विपक्ष में रहते हुए इन सभी नेताओं ने कांग्रेस की ईंट से ईंट बजाई थी। पेपर लीक से लेकर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस को जमकर घेरा था। यही नतीजा रहा की विधानसभा चुनाव के रिजल्ट बीजेपी के पक्ष में रहे लेकिन जब मुख्यमंत्री की बात आई तो भजनलाल शर्मा को पद सौंपकर सभी को हैरान कर दिया था।
बीजेपी पर हमलावर नहीं कांग्रेस नेता !
राजस्थान में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के तौर पर अशोक गहलोत जाने जाते हैंं लेकिन कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि वह आला कमान की पहली पसंद इसलिए नहीं है क्योंकि जब उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का ऑफर दिया गया तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था। जब बीजेप विपक्ष में थी तो गोविंद सिंह डोटासरा पर पेपर लीक से लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन सत्ता में आने के बाद वहीं नेता शांत है पेपरलीक के खिलाफ किरोड़ीलाल मीणा बोलते नजर आते हैं। अब बात आती है राजस्थान कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की। उनका अपना एक अलग वोट बैंक है 2013 से 2017 के बीच में उन्होंने बीजेपी सरकार की नाक में दम कर रखा था लेकिन जब से भजनलाल सरकार आई है तब से वह बिल्कुल शांत है और सधे हुए बयान दे रहे हैं। अब देखते हैं कि राजस्थान की सियासत में क्या कुछ उबाल आता है क्योंकि यह सियासी पर ज्यादा दिनों तक ठंडा नहीं रहने वाला यहां पर अक्सर सियासी पारा चढ़ता रहता है ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में पक्ष और विपक्ष के बीच क्या तकरार होती है।