Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस में बदलाव की बयार? उपचुनाव हार के बाद अध्यक्ष पद पर संशय, जानें क्या बोले डोटासरा
राजस्थान उपचुनाव में कांग्रेस की हार के बाद क्या बदलेगा प्रदेश अध्यक्ष? जानें गोविंद सिंह डोटासरा ने गहलोत, पायलट और हनुमान बेनीवाल पर क्या कहा। क्या कांग्रेस हाईकमान करेगा बड़ा फैसला? पूरी विश्लेषण और राजनीतिक भविष्य पर चर्चा।
राजस्थान उपचुनाव के रिजल्ट भले 23 नवंबर को आ चुके हो लेकिन इसके बाद भी चर्चाओं का दौर जारी है। बीजेपी एक तरफ जीत का जश्न मना रही है तो दूसरी और कांग्रेस केवल एक सीट पर जीत हासिल कर सकी। उपचुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद राजस्थान कांग्रेस में बदलाव की खबरों की चर्चाओं में भी जोर पकड़ लिया है। अब इस बारे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रतिक्रिया दी है।
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प्रदेशाध्यक्ष पद छोड़ने पर बोले डोटासरा
जब डोटासरा से पूछा गया की चर्चाएं तेज है कि जिस तरह उपचुनाव में कांग्रेस की हार हुई है प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर किसी और को चुना जाए तो इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, यह पद पार्टी का है। कौन पद पर रहेगा या नहीं, इसका फैसला हाईकमान द्वारा तय किया जाता है। यह कितने वक्त तक रहेगा। यह मेरे या फिर विरोधियों के कहने से तय नहीं होता। ये पार्टी का फैसला होता है। मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है मैं उसे निभाऊंगा। उन्होंने आगे कहा कि मुझे पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन है।
पायलट-गहलोत पर दिया बयान
जिस वक्त राजस्थान में उपचुनाव थे उसे वक्त सचिन पायलट और अशोक गहलोत महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारियां संभाल रहे थे हालांकि दौसा सीट पर प्रचार करने के लिए पायलट ने कमान संभाली थी लेकिन अशोक गहलोत काफी हद तक चुनाव प्रचार से दूर रहे। बड़े नेताओं का मैदान में ना उतरना कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण बना। जिस पर डोटासरा ने कहा कि उपचुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से हमारे राष्ट्रीय नेता नहीं जाते है। इस दौरान वे पायलट और गहलोत का बचाव करते नजर आए उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं को हाईकमान ने महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंप गई थी। जब भी उन्हें राजस्थान उपचुनाव में मीटिंग या प्रचार के लिए बुलाया गया तो वह जरूर आए।
हनुमान बेनीवाल पर भड़के डोटासरा !
हनुमान बेनीवाल और गोविंद सिंह डोटासरा की अदावत जगजहिर है। दोनों नेता आये दिन एक दूसरे पर निशाना चाधते रहते हैं। कई जनसभा में भी हनुमान बेनीवाल ने कहा था कि गमछा हिलाने वालों के कारण यह गठबंधन नहीं हो सका जिस पर डोटासरा ने जवाब दिया कि अगर उन्हें थोड़ी भी फिक्र थी तो वह प्रदेशाध्यक्ष से फोन पर ही बात कर लेते। जिससे पता चलता है कि अगर हनुमान बेनीवाल उनसे बात करते तो कांग्रेस और आरएलपी का गठबंधन हो सकता था। बहरहाल, चुनाव बीत चुके हैं उसके रिजल्ट भी आ चुके हैं। बस इंतजार है अब हर किसी को तो राजस्थान कांग्रेस में बड़े बदलाव का देखने वाली बात होगी कि यूपी चुनाव में हर के बाद कांग्रेस हाय का मन क्या फैसला लेते हैं।