धुनुची नृत्य के बिना अधूरी है दुर्गा पूजा, जानें महत्व और इतिहास

धुनुची नृत्य के बिना अधूरी है दुर्गा पूजा, जानें महत्व और इतिहास

Date: Oct 09, 2024

By: Mansi Yadav, Bharatraftar

क्या है धुनुची नृत्य?

धुनुची नृत्य बंगाल की एक बहुत ही प्राचीन परंपरा है जिसकी झलक हर दुर्गा पूजा पंडाल में देखी जा सकती है| इस धुनुची को मुंह में भी पकड़कर बंगाल के स्थानीय ढोल और नगाड़ों की थाप पर डांस किया जाता है| 

क्या होता है धुनुची ?

धुनुची मिट्टी का एक पात्र होता है. जिसमें सूखा नारियल, जलता कोयला, कपूर और थोड़ी सी हवन सामग्री रखी जाती है| इसी मिट्टी की धुनुची को हाथ में पकड़कर नृत्य करने की कला धुनुची नाच कहलाती है| 

धुनुची नृत्य का महत्व

माना जाता है कि ये नृत्य वास्तव में शक्ति का परिचायक है और इसका संबंध महिषासुर वध से जुड़ा है| अति बलशाली महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने मां की स्तुति की थी और मां ने असुर के वध से पहले अपनी ऊर्जा और शक्ति को बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था|

धुनुची नृत्य कैसे किया जाता है?

इस नृत्य को करने के लिए लोग अपने एक या दोनों हाथों में जलता हुआ धुनुची पकड़ते हैं और इससे अलग-अलग करतब करते हुए एक साथ तालमेल बिठाकर नृत्य करते हैं।

क्यों किया जाता है धुनुची नृत्य?

 एक मान्यता ये भी है कि धुनुची में जलाई गई धूप और चावल देवी दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। नर्तक अपने नृत्य के माध्यम से देवी दुर्गा की स्तुति करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

महानवमी पर है खास महत्व

 इस नृत्य का खास महत्व महानवमी पर होता है। इस डांस में धुनुची को लोग हाथ में पकड़कर नृत्य करते हैं, लेकिन कुछ लोग इतने माहिर होते हैं कि वो मुंह से इसे पकड़कर भी डांस कर लेते हैं।

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