Diwali 2024: दिवाली और देव दीपावली में क्या है अंतर, काशी में 15 दिन बाद क्यों जगमगाते हैं घाट?

Diwali 2024: दिवाली और देव दीपावली में क्या है अंतर, काशी में 15 दिन बाद क्यों जगमगाते हैं घाट?

Date: Oct 28, 2024

By: Mansi Yadav, Bharatraftar

दिवाली

रोशनी का त्योहार दिवाली पांच दिनों तक चलता है, उत्सव का मुख्य दिन तीसरे दिन होता है| पहला दिन धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन और भाई दूज| भगवान राम के वनवास से लौटने के बाद अयोध्या के लोगों ने दिवाली मनाई| 

दिवाली का अर्थ

दिवाली अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक होता है| भगवान राम की लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त करने और सीता-लक्ष्मण समेत अयोध्या वापसी से जुड़ा हुआ है| 

प्रथाएं

दीपावली के दिन लोग तेल और घी के दीये और मोमबत्तियां जलाते हैं| अपने घरों को खूब सजाते हैं, एक दूसरे को तोहफे देते हैं और पटाखे छोड़ते हैं| मंदिरों और घरों में रोशनी की जाती है. मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है|

देव दीपावली

देव दिवाली, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू महीने की कार्तिक की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है| यह दिवाली के लगभग 15 दिन बाद आता है।   

देव दीपावली की कहानी

कथा के मुताबिक एक बार त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था| उसके आतंक से देवता परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे| चरसभी देवताओं के निवेदन करने के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस का वध किया| 

काशी की दीपावली

 ऐसा कहा जाता है कि काशी पहुंचने के बाद देवताओं ने मां गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित कर त्रिपुरासुर के अंत की खुशियां मनाई| उस समय दीपों के प्रकाश से काशी नगरी संपूर्ण जगत में जगमगा उठी थी| इस कारण काशी की दीपावली को देव दीपावली कहा जाता है| 

प्रथाएं

देव दिवाली पर भक्त वाराणसी में गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं, पूजा करते हैं और घाटों पर तेल के दिए जलाते हैं|

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