माता यशोदा के गर्भ से आईं मां विंध्यवासिनी की मान्यता एवं महत्व
Date: Sep 26, 2024
By: Ankita Srivastava, Bharatraftar
द्वापर युग से है माता
श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार मां विंध्यवासिनी भगवान नारायण की योगमाया है, माता की प्रतिष्ठा द्वापर युग से है
यशोदा के गर्भ से जन्मी
भगवान नारायण ने अपनी योगमाया को अपनी लीला में सहयोग के लिए कृष्ण अवतार से ठीक पहले यशोदा के गर्भ से धरती पर भेजा था
कृष्ण भगवान की बहन
जन्म के बाद भगवान कृष्ण खुद यशोदा मां की गोद में पहुंच गए और योगमाया मां विंध्यवासिनी को देवकी के पास मथुरा पहुंचा दिया
कंस ने की थी मारने की कोशिश
मां देवकि की आठवीं संतान जब कंस को पता चला तो उसने मारने की कोशिश की, तभी मां विंध्यवासिनी कंस के हाथ से निकलकर विंध्याचल पर्वत पर बैठ गई थी
भगवान से मिला वरदान
तभी नारायण भगवान ने माता को मां विंध्यवासिनी का नाम दिया था और ये वरदान दिया कि लोग युगों युगों तक माता की पूजा करके उनकी कृपा पाते रहेंगे
चमत्कारों की कहानी
मां विंध्यवासिनी की चमत्कारों की कहानियों से ग्रंथ भरे पड़े हैं, माता की उपासना कर बहुत लोगों की मनोकामना पूर्ति हुई है
बन रहा कॉरिडोर
उत्तर प्रदेश सरकार माता के दरबार की सुंदरता और भीड़ को देखते हुए मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था के तौर पर कॉरिडोर बनवा रही है
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