हवन में आहुति देते समय क्यों बोला जाता है 'स्वाहा' ? यहां जानें कारण
Date: Nov 23, 2024
By: Mansi Yadav, Bharatraftar
हवन
हिंदू धर्म में हवन को विशेष महत्व दिया गया है। गृह प्रवेश, धार्मिक कार्य या फिर किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले हवन जरूरी रूप से किया जाता है|। हवन के दौरान आहुति देते समय स्वाहा जरूर बोला जाता है, जिसका एक बहुत ही खास महत्व है।
क्यों बोला जाता स्वाहा?
मंत्रोच्चारण के साथ लोग ' स्वाहा ' शब्द का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हवन की आहूति के समय ' स्वाहा ' शब्द क्यों बोला जाता है।
आहुति होती पूर्ण
स्वाहा अग्नि देव की पत्नी हैं। इसलिए हवन में हर मंत्र के बाद उनके नाम का उच्चारण करने से अग्नि देव प्रसन्न होते हैं और इससे आहुति को पूर्ण माना जाता है|
पौराणिक कथा
स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। इनका विवाह अग्निदेव के साथ किया गया। इसीलिए अग्नि में जब भी कोई चीज समर्पित करते हैं, तो उनकी पत्नी को भी साथ में याद किया जाता है, तभी अग्निदेव उस चीज को स्वीकार करते हैं।
एक और कथा
प्रकृति की एक कला के रूप में स्वाहा का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण ने स्वाहा को वरदान दिया था कि उनके नाम से ही देवता हविष्य ग्रहण करेंगे। यही कारण है कि हवन के दौरान स्वाहा जरूर बोला जाता है।
यज्ञ नहीं होता पूरा
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कोई भी यज्ञ तब तक पूरा नहीं होता है जब तक हवन का ग्रहण देवता नहीं कर लेते हैं। हवन सामग्री को देवता तभी ग्रहण करते हैं जब अग्नि में आहुति डालते स्वाहा बोला जाता है। इसलिए हवन के दौरान स्वाहा बोला जाता है|
भगवान कृष्ण से जुड़ी कथा
एक अन्य कथा के अनुसार अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र हुए। भगवान कृष्ण ने स्वाहा को वरदान दिया था कि उनके नाम से ही देवता यज्ञ और हवन की आहूति ग्रहण करेंगे। उसी समय से हवन के दौरान स्वाहा बोला जाता है।
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