सदियों से दिवाली के दिन दीए जलाने की परंपरा चली आ रही है, दिए जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन, सुख और समृद्धि का वरदान देती है
लंका पर विजय
दिवाली का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे, भगवान के स्वागत में अयोध्या वासियों ने अयोध्या नगरी को दीपों से जगमग कर दिया था
अंधेरा दूर
अमावस्या के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है, अंधकार को मिटाने के लिए दिवाली के दिन दीप जलाएं जाते हैं
दीयों का क्या करें
दिवाली के दिन तेल के दीए जलाने का खास महत्व है, लेकिन क्या आपको पता है दिवाली के बाद इस्तेमाल हुए दीयों का क्या करना चाहिए
क्या ना करें
दिवाली के अगले दिन दीयों को ना नदी में प्रवाहित करें, ना ही कूड़े में फेंके
गोवर्धन पूजा में जलाएं
दिवाली के बाद दीयों को गोवर्धन पूजा तक संभाल कर रखें, क्योंकि गोवर्धन पूजा में भी दिए जलाए जाते हैं
नदी में प्रवाहित
गोवर्धन पूजा समाप्ति के बाद इंद्रियों को किसी नदी में प्रवाहित कर दे
फल की प्राप्ति
ऐसा माना जाता है की मिट्टी से बनी चीजों को नदी में प्रवाहित करने से सकारात्मक फल की प्राप्ति होती है
यहां रखें
वही मानता है कि कुछ दीये को पूजा घर, तिजोरी या ऐसी जगह पर रखें, जहां इन दीयों को नुकसान न पहुंचे
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