Karwa Chauth 2024: छलनी से क्यों देखा जाता है करवा चौथ का चांद? इसके बिना अधूरा रहता है व्रत
Date: Oct 15, 2024
By: Nitika Srivastava, Bharatraftar
करवा चौथ
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं.
करक चतुर्दशी
पुराणों में करवा चौथ का व्रत करक चतुर्थी के नाम से प्रचलित है. इस दिन महिलाएं चंद्रमा के साथ शिव परिवार के पूजा करती हैं.
व्रत का पारण
करवा चौथ के दिन चांद को देखने के बाद ही व्रत खोलने का नियम है. इस दिन चंद्रमा के छलनी से देखने की भी परंपरा है. जिसका पालन लंबे समय से किया आता जा रहा है.
चांद को छलनी से देखना
छलनी से सबसे पहले महिलाएं चांद को देखती हैं. ऐसी मान्यता है कि, इस दिन चांद को स्पष्ट रूप से नहीं देखना चाहिए. चंद्रमा के दर्शन किसी न किसी आड़ से करने चाहिए.
पौराणिक मान्यता
इसके पीछे भी पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है. माना जाता है, जितने छेद छलनी में होते हैं, उतनी ही पति की आयु लम्बी होती है.
लंबी उम्र की कामना
सुहागन महिलाएं भगवान से अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. जिसके लिए मिट्टी के करवा में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पति के हाथों व्रत को खोला जाता है.
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