हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. लोग मृत लोगों के नाम से श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है.
बुजुर्गों की पुश्तें
अक्सर अपने घर के बड़े बुजुर्गों को साथ पुश्तों को जोड़ते हुए हर बात का जिक्र करते हुए सुना होगा.
हिंदू पुराण
हिंदू पुराण और शास्त्रों के अनुसार पितृदोष का प्रभाव भी आने वाले सात पीढ़ियों पर पड़ सकता है.
पितृ दोष
किसी भी व्यक्ति के कर्मों के आधार पर पितृ दोष लगता है. और ये पितृदोष सिर्फ उसी व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि ये आगे कई पीढ़ियों तक जाता है.
लड़ाई झगड़े
जिस घर में पितृ दोष लगता है, या घर में सदस्यों के बीच लड़ाई झगड़े और कलेश का माहौल रहता है.
संतान हानि
पितृ दोष से पीड़ित जातकों को और उन्हें संतान की हानि होती है.
आती हैं रुकावटें
पितृ दोष लगने से विवाह में देरी, संतान प्राप्ति में परेशानी और पैसों रुपयों में बरकत ना होने जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं.
इस लिए नाराज होते हैं पितृ
शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में जो भी मांस और मदिरा का सेवन करता है, उससे पितर नाराज होते हैं.
सदस्यों को मिलता है कष्ट
इसके अलावा पितृ पक्ष के दिनों में जिस घर में ज्यादा पाप कर्म किए जाते हैं, इस घर में पितृपक्ष के कारण परिवार के सदस्यों को कष्ट भोगने पड़ते हैं.
इन पीढ़ियों तक हो श्राद्ध कर्म
शास्त्रों के मुताबिक, पितरों का श्राद्ध कर्म आमतौर पर तीन पीढ़ियों तक के पूर्वजों के लिए किया जाता है.
कौन कौन होता है शामिल
इसे पितृत्रयी कहते हैं. तीन पीढ़ियों की पूर्वजों में पिता, दादा और परदादा शामिल होते हैं.
श्राद्ध और तर्पण जरूरी
पितृ पक्ष के दौरान आप अपने पितरों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान और ब्राह्मण भोज के जरिए आशीर्वाद ले सकते हैं.
गीता का करें ये पाठ
पितृ पक्ष के दौरान आप गीता के सातवें अध्याय का पाठ करके भी अपने पितरों को शांति दिला सकते हैं.
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