पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी: आधुनिक भारत की नींव रखने वाले महानायक

आत्मनिर्भर, सशक्त भारत की परिकल्पना करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के ऐसे युगपुरुष थे, जिन्होंने देश के विकास को मानवीय मूल्यों के साथ जोड़कर देखा। ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को अपने आचरण और नीतियों से जीवंत करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने जीवन की हर चुनौती को पार करते हुए नए भारत की मजबूत नींव रखी।
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व राजनीति से कहीं आगे था। वे ऐसे नेता थे जिन्होंने आमजन को यह भरोसा दिलाया कि न्याय, सामाजिक समरसता और सम्मान पर हर भारतीय का समान अधिकार है। संसद हो या जनसभा, देश का आंतरिक मुद्दा हो या विदेशी धरती पर भारत की आवाज बुलंद करने की बात—अटल जी ने हर मंच पर भारतीय सोच और भारतीय अंदाज को पूरी दृढ़ता से प्रस्तुत किया। यही कारण रहा कि वे सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष में भी समान रूप से लोकप्रिय रहे।
प्रारंभिक जीवन
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा वाजपेयी के घर हुआ। पिता एक शिक्षक और कवि थे, जिससे उन्हें बचपन से ही साहित्य और शिक्षा का समृद्ध वातावरण मिला। युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते अटल जी देशभक्ति और साहित्य में पारंगत हो चुके थे।
महात्मा रामचंद्र वीर द्वारा रचित अमर काव्य ‘विजय पताका’ ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। इस रचना से प्रेरित होकर राष्ट्रसेवा की भावना उनके भीतर और प्रबल हुई और छात्र जीवन में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए।
राजनीति की शुरुआत
कानपुर के डीएवी कॉलेज से एम.ए. करने के बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई शुरू की, लेकिन संघ के कार्यों के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई पूर्ण विराम दे दिया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे राजनीतियो के सानिध्य में उन्होंने राजनीति जीवन की शुरुआत की । एक साधारण परिवार से आने वाले अटल जी ने अपनी प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता के बल पर दो बार अल्पकालिक और एक बार पूर्णकालिक प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल किया।
पोखरण का परमाणु परीक्षण
अटल बिहारी वाजपेयी का सपना भारत को एक सशक्त और सुरक्षित राष्ट्र बनाना था। इसी सोच के तहत उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में किए गए पांच भूमिगत परमाणु परीक्षणों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। पश्चिमी देशों की आपत्तियों और प्रतिबंधों के बावजूद अटल जी अपने फैसले पर अडिग रहे
पाकिस्तान से सम्बन्ध
अटल जी का सादा जीवन और सरल स्वभाव विश्वभर में सराहा गया। पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की दिशा में उन्होंने ऐतिहासिक पहल की। अटल बिहारी वाजपेयी का मानना था की पडोसी कभी बदले नहीं जा सकते है। इसी के तहत वे 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक ‘सदा-ए-सरहद’ बस सेवा की शुरुआत करते हुए वे स्वयं इसके पहले यात्री बने और पाकिस्तान जाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की। यह पहल शांति और संवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक बनी।
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