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Dhurandhar: कौन है धुरंधर फिल्म का रहमान डकैत? अक्षय खन्ना ने किरदार निभाकर लूट ली लाइमलाइट, असलियत जानकर उड़ जाएंगे आपके होश!

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मनोरंजन
15 Dec 2025, 06:56 pm
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रिपोर्टर : Dushyant

Rehman Dakait in Dhurandhar: हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘धुरंधर‘ का सिक्का हर तरफ बोल रहा है। कुछ दिनों पहले तक जो लोग रणवीर सिंह को कांतारा मूवी से जुडी कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर ट्रोल कर रहे थे, वे ही अब रणवीर सिंह की तारीफ करते रुक नहीं रहे हैं। हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘धुरंधर‘ ट्रेंड कर रही है। हर कोई कहानी को आगे जानने को लेकर बेसब्र है।

लेकिन इन सब के बीच में लंबे वक्त बाद पर्दे पर वापसी करने वाले अक्षय खन्ना का कमबैक खूब चर्चा में चल रहा है। अक्षय की शेर-ए-बलोच गाने पर स्वैग से एंट्री लेते हुए की क्लिप काफी वायरल हो रही है। इतना ही नहीं, ये डांस की क्लिप एक मीम टेम्पलेट बन चुकी है। कमबैक के बाद, फैंस अक्षय खन्ना को अंडररेटेड लेजेंड जैसी उपाधियाँ दे रहे हैं। इस कमबैक के साथ, सिर्फ अक्षय खन्ना ही नहीं, एक और नाम ऐसा है, जिसके बारे में लोग बात कर रहे हैं और इंटरनेट पर सर्च किया जा रहा है। ये नाम है - रहमान डकैत। अक्षय खन्ना ने फिल्म में रहमान डकैत का ही रोल प्ले किया है।

फिल्म में रहमान डकैत को एक बहुत ही खतरनाक, वहशी, खूंखार और राक्षस किस्म का इंसान बताया गया है। इस मुद्दे पर खबर रखने वाले लोगों का कहना है कि फिल्म में तो फिर भी कम ही दिखाया गया है, असल में रहमान हैल (नर्क) के किसी शैतान से कम नहीं था। वहीं किसी का ऐसा भी कहना है कि रहमान उतना बडा और खूंखार गुंडा नहीं था, जितना मूवी में दिखाया जा रहा है। कौन है रहमान डकैत? क्या है उसकी कहानी? कैसे बना वह गैंगस्टर? आइए इन बातों पर नजर डालते हैं।


कौन है रहमान डकैत (Rehman Dakait)?


रहमान डकैत की कहानी की शुरुआत होती है कराची शहर के ल्यारी इलाके से। उस वक्त ल्यारी गुंडों का अड्डा हुआ करता था। कहते हैं कि ल्यारी शुरु से ऐसा नहीं था। एक वक्त था जब ल्यारी की गलियों में कम उम्र के लडके फुटबॉल खेलने के लिए पागल थे। फुटबॉल का जुनून इस कदर था कि पाकिस्तान के घरों की छतों पर ब्राजील के झंडे लगे हुए पाए जाते थे। लेकिन फिर गैंगस्टर कल्चर ने धीरे धीरे इसे खत्म कर दिया। जब तक रहमान ने होश संभाला था, तब तक ल्यारी की गलियों में खून पानी की तरह बहना शुरू हो चुका था। इलाके में छोटे-मोटे गुंडे और लोकल गैंगस्टर्स ने अपनी हुकूमत बनाने के लिए रोज कत्लेआम मचाना शुरु कर दिया था। दिन हो या रात, किसी भी वक्त अचानक कभी भी गुंडे गलियों में उठते। फिर लडाई शुरु होती, चाकू चलते, चीखें निकलती और फिर खून बहता। थोडी देर में चीखें शांत हो जाती और किसी विजेता की टीम की तरह आवाजें आती।


कुछ वक्त बाद आया नाइंटीज का दौर। एक ऐसा वक्त, जब लिहारी में एक नए आदमी की एंट्री हुई, जिसका नाम वैसे तो इकबाल था, लेकिन लोग उसे बाबू डकैत के नाम से जानते थे। बाबू डकैत एक पढा लिखा गैंगस्टर था और उसने कराची के बीच अपना ड्रग्स का बिजनेस शुरु किया। कुछ ही वक्त में उसने अपना गैंग और नेटवर्क इतना मजबूत कर लिया, कि कोई गुंडा तो दूर, पुलिस भी उसका नुकसान नहीं कर पा रही थी। लेकिन बाबू के इलाके में ही एक और गैंगस्टर एक्टिव था, जिसका नाम दादल था। बाबू के सामने दादल ज्यादा वक्त तक नहीं टिक पाया और बाबू ने दादल को भी मार दिया। लेकिन यहीं से कहानी में बदलाव शुरु हो गया। दादल के मरने के बाद उसकी गद्दी पर उसके बेटे सरदार अब्दुल रहमान बलोच को बैठाया गया। यही व्यक्ति आगे जाकर रहमान डकैत बना। कहते हैं कि रहमान अपने जीवन में ना कभी उसूलों से चला, ना ही कभी किसी गलत करने वाले पर रहम दिखाया।


13 साल की उम्र से ही अपराधी बन गया था रहमान डकैत?


रहमान ने अपने जीवन का पहला अपराध सिर्फ 13 साल की उम्र में ही कर दिया था, अपराध हत्या का। किसी व्यक्ति से मामूली सी बात पर उसकी लडाई हुई और रहमान ने उसे चाकू मार दिया। लेकिन इस घटना की वजह से रहमान को वहशी और खूंखार नहीं कहते। रहमान शैतान बना जब उसने अपनी ही माँ का कत्ल कर दिया। रहमान को शक था कि उसके पिता की मौत के बाद उसकी माँ का संबंध किसी और आदमी के साथ चल रहा था। शक होने पर रहमान ने शक को खत्म करने या जांच करने की कोशिश नहीं की। उसने सीधे ही अपनी माँ को जान से मार डाला। लेकिन वो इतने पर ही नहीं रुका, इसके बाद उसने अपनी माँ के शव को पंखे से लटका दिया।


इस घटना के बाद पूरे ल्यारी में रहमान का खौफ पसर गया। लोग इस डर से उसके सामने नहीं आते थे, कि जो अपनी मां के साथ ऐसा कर सकता है, वह किसी और के साथ तो क्या ही करेगा। वक्त बीतने के साथ रहमान का दबदबा बढता गया, और वो ल्यारी और कराची का नामचीन गैंगस्टर बन गया। रहमान और उसकी गैंग ने दर्जनों लोगों के कत्ल कर दिये।

लेकिन इतने अपराध करने के बाद भी लोग उसे मसीहा मानते हैं। आज भी आपको कई ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो रहमान की तारीफ के कसीदे पढते हैं। इसकी वजह ये है कि वो लोगों के सामने खुद को मसीहा की तरह प्रस्तुत करता था। उसने लोगों के मुफ्त में इलाज करवाए, गरीब लडकियों की शादियाँ करवाने के लिए पैसा खर्च किया, लोगों की तरह-तरह से मदद की। किसी भी काम के लिए कोई दिक्कत आ रही हो या जरूरत पडे, तो रहमान खुले हाथों से उनका काम पूरा करवाता। ऐसा करके रहमान पब्लिक सपोर्ट तैयार कर रहा था, ताकि उसे लोगों का सपोर्ट मिले और पुलिस या सरकार उसका कुछ बिगाड नहीं पाए।


रहमान को मारने की साजिश भी हुई


रहमान से जुडे ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं कि वह अपने इलाके में अपनी खुद की ही सरकार बनाकर चलता था। रहमान की हुकूमत में ड्रग्स और चोरी करना पूरी तरह से बंद था। अगर किसी लडके ने चोरी की है, तो दो बार तक उसके घर वालों को चेतावनी दी जाती थी। इसके बार भी अगर वह फिर से चोरी करता, तो तीसरी बार तो उसकी लाश ही घर पर जाती थी।

इसके बाद भी रहमान के कई दुश्मन उठे, जिन्होंने रहमान को गिराने और मारने की साजिश रची। लेकिन रहमान उन सभी को गिरा कर आगे बढता गया और ताकतवर होता गया। एक वक्त पर तो रहमान का असर पॉलिटिक्स पर भी चलता था। छोटे से बडे राजनेता भी उसके पास आते थे।


लेकिन कोई भी कहानी बहुत देर तक अच्छी नहीं चलती है। रहमान की कहानी में भी एक ऐसा आदमी आया, जिसने उसे बुरी तरह से हिला कर रख दिया। ये नया किरदार था एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसपी चौधरी असलम। चौधरी असलम का एनकाउंटर की दुनिया में इतना नाम था कि कई बार उन्हें अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए खुद से दूर किसी सेफ हाउस में रखना पडता था, ताकि उन पर कोई खतरा नहीं आए। उस समय उनकी पोस्टिंग कराची में हुई और उन्हें काम दिया गया ल्यारी की गलियों से गैंगस्टर्स की सफाई का।


एनकाउंटर में मारा गया रहमान डकैत


चौधरी ने भी ठान लिया था कि रहमान का नाम शहर की सडकों से हटाना ही है। 2006 में चौधरी असलम ने रहमान को गिरफ्तार भी कर लिया था, लेकिन रहमान ने कुछ पुलिसवालों को करोडों रुपये की रिश्वत दी और बडे आराम से जेल से बाहर निकल गया। इस घटना से चौधरी के मन को बहुत गहरी चोट पहुँची। उन्होंने तय कर लिया था कि अब रहमान गिरफ्तार नहीं, बल्कि उसका सीधा एन्काउंटर होगा। कुछ सालों बाद अगस्त 2009 में चौधरी ने एक सीक्रेट ऑपरेशन शुरु किया। ऑपरेशन शुरु होने के लगभग पांच घंटे बाद खबर आई कि रहमान डकैत को मार दिया गया है। रहमान एक ऐसा इंसान था, जो सिर्फ ल्यारी ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की पॉलिटिक्स पर भी अपना प्रभाव रखता था। कहते हैं कि साल 2007 में एयरपोर्ट ब्लास्ट के बाद बेनजीर भुट्टो को सुरक्षित पहुँचाने का काम भी रहमान ने ही किया था। रहमान खुद उनकी कार को ड्राइव कर रहा था।


फिल्म के अंत में भी यही दिखाया गया कि रहमान को मार दिया गया था। अब वो बात भी है फिल्म के निर्माताओं ने अपने हिसाब से थोडा मसाला भरने के लिए कहानी को थोडा सा अपने हिसाब से भी किया है। फिल्म का अगला पार्ट अगले साल मार्च में आने वाला है। हो सकता है कि इस पार्ट में रहमान की पुरानी कहानी दिखाई जाए। बाकी की डिटेल्स तो अब फिल्म आने पर ही मिलेगी।


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