हनुमान बेनीवाल ने मचाया संसद में तहलका! मुद्दे उठाने में बने नंबर-1, रोत दूसरे स्थान पर

Hanuman Beniwal in Parliament: संसद के शीतकालीन सत्र में राजस्थान के सांसदों ने अपनी सक्रियता से सबका ध्यान खींचा है। खासतौर पर, नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल और बांसवाड़ा-डूंगरपुर से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने, जिन्होंने मुद्दे उठाने में अव्वल प्रदर्शन किया। ये दोनों सांसद न सिर्फ बहस में आगे रहे बल्कि उन्होंने प्रदेश और देश के ज्वलंत मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।
3,449 प्रश्नों में से 327 सवाल राजस्थान के सांसदों ने पूछे
संसद का शीतकालीन सत्र हाल ही में संपन्न हुआ और इस दौरान लोकसभा की उत्पादकता 111 प्रतिशत रही ये एक रिकॉर्ड है। पूरे सत्र में कुल 3,449 प्रश्न पूछे गए, जिनमें राजस्थान के सांसदों ने 327 प्रश्नों का योगदान दिया। प्रश्न पूछने में पाली के भाजपा सांसद पीपी चौधरी सबसे आगे रहे, जिन्होंने 26 सवाल किए। उसके बाद भीलवाड़ा के दामोदर अग्रवाल 25 और राजसमंद की महिमा कुमारी मेवाड़ 23 प्रश्नों के साथ टॉप थ्री में रहीं लेकिन जब बात मुद्दे उठाने और बहस करने की आती है, तो हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने सबको पीछे छोड़ दिया। उन्होंने कुल 12 बार सदन में बहस में हिस्सा लिया, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए और अन्य तरीकों से मुद्दों को उठाया। वहीं, राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) 9 बार मुद्दे उठाकर दूसरे स्थान पर रहे।
अब आते हैं मुख्य फोकस पर हनुमान बेनीवाल। नागौर के इस फायरब्रांड सांसद ने सत्र में राजस्थान के किसानों, युवाओं और आम जनता के मुद्दों को बेबाकी से उठाया। उदाहरण के लिए, उन्होंने हनुमानगढ़ के टिब्बी में इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर हुए क्लैश और पुलिस की लाठीचार्ज की घटना को जोरदार तरीके से सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि किसानों के विरोध को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया गया, और सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए।
इसके अलावा, चुनाव सुधारों पर बहस में उन्होंने SIR प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए, जहां वोटर लिस्ट से नाम कटने की समस्या पर फोकस किया। वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर बहस में भी उन्होंने हिस्सा लिया और सरकार की नीतियों पर सवाल किए, जैसे कि प्रो-कैपिटलिस्ट पॉलिसी जो किसानों और गरीबों के खिलाफ है। इसके अलावा, रिपीलिंग एंड अमेंडिंग बिल पर अपनी टिप्पणियां दीं और इंडिगो एयरलाइंस के chaos और गोवा नाइटक्लब फायर से जुड़े मुद्दों पर भी उन्होंने सरकार को घेरा।
इन मुद्दों में से कितनों पर एक्शन लिया गया
संसद में जिन मुद्दों को इतने जोर-शोर से उठाया गया उनमें से टिब्बी इथेनॉल फैक्ट्री क्लैश पर सदन में बहस हुई, सरकार ने नोट किया, लेकिन अभी तक कोई ठोस जांच या कार्रवाई की खबर नहीं आई। इसी तरह, राजकुमार रोत ने आदिवासी समुदाय के मुद्दों को सामने लाकर सबको चौंकाया। बांसवाड़ा-डूंगरपुर के इस युवा सांसद ने 9 बार सदन में मुद्दे उठाए। उन्होंने (मनरेगा) के तहत मजदूरों की पेंडिंग वेजेस का मुद्दा उठाया, जहां लाखों आदिवासी मजदूरों को महीनों से पेमेंट नहीं मिला। चुनाव सुधारों पर भी उन्होंने स्पीच दी, SIR प्रक्रिया में आदिवासी इलाकों में वोटर डिलीशन की समस्या पर फोकस किया। (VB-G RAM G Bill, 2025) पर अपनी रिमार्क्स में उन्होंने आदिवासियों के लिए स्पेशल प्रोविजन की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने एमईएसए बिल (MESA Bill) को पास करने की मांग की, जो आदिवासी भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए है– हालांकि ये लेटर के जरिए पीएम को लिखा गया, लेकिन सत्र से जुड़ा मुद्दा है। VB-G RAM G Bill पर बहस में उनके सुझाव नोट किए गए, और बिल पास हुआ, लेकिन आदिवासी स्पेशल प्रोविजन शामिल नहीं हुए।
सांसदों का प्रश्न पूछना और मुद्दे उठाना संविधान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज्यादा सवाल पूछने से सरकार की जवाबदेही बढ़ती है, और जनता को जानकारी मिलती है। इस सत्र में राजस्थान के सांसदों ने 13 निजी बिल भी पेश किए, जिनमें पीपी चौधरी, लुम्बाराम चौधरी और दामोदर अग्रवाल ने तीन-तीन, जबकि बेनीवाल और रोत ने एक-एक बिल पेश किया। ये सब दिखाता है कि राजस्थान के सांसद कितने सक्रिय हैं।
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