Chhat Puja 2024: छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य? जानिए क्या है इसके पीछे की मान्यता
Date: Nov 04, 2024
By: Nitika Srivastava, Bharatraftar
छठ पर्व
हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है. वहीं छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है.
छठी मईया को समर्पित
छठ का त्यौहार खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी में मनाया जाता है. ये चार दिवसीय व्रत सूर्य देव और छठी मईया को समर्पित होता है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
इस त्यौहार का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टि में काफी महत्व है. दिवाली के छह दिन बाद ये त्यौहार मनाया जाता है.
त्यौहार की रस्में
छठ के दूसरे दिन खरना की रस्म की जाती है. वहीं तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस त्यौहार की समाप्ति की जाती है.
डूबते सूर्य को अर्घ्य देना
डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे की मान्यता है कि, डूबते समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं.
दूर होती हैं समस्याएं
इस समय सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की हर तरह की समस्याएं दूर होती हैं. इसके अलावा अभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
मुख्य कारण
डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे जीवन के उस चरण को दर्शाना है, जब व्यक्ति को शक्ति, ऊर्जा और संतुलन मिलता है. हर रात के बाद नया दिन जरूर आता है, ये भी दर्शाता है.
छठ के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय से शुरू होता है. वहीं दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देना और चौथा दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करना है.
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