Diwali 2024:दिवाली की पांच पौराणिक कथाएं, जो बहुत कम लोग जानते होंगे

Diwali 2024:दिवाली की पांच पौराणिक कथाएं, जो बहुत कम लोग जानते होंगे

Date: Oct 26, 2024

By: Ankita Srivastava, Bharatraftar

दीपावली की पौराणिक कथाएं

युगों से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है, जिसका प्रमाण इन कथाओं में मिलता है, चलिए जानते हैं

सतयुग की दीपावली

जब देवता और दानवों के बीच समुद्र मंथन हुआ तो इस महा अभियान से ही ऐरावत, चंद्रमा, उच्चैश्रवा, परिजात, वारुणी, रंभा आदि 14 रत्न और हलाहल विष भी निकला और अमृत घट लिए धन्वंतरि भी प्रकट हुए, इसके अलावा इसी महामंथन से मां लक्ष्मी भी प्रकट हुई, और सारे देवी देवताओं ने मिलकर उनके स्वागत में दिवाली मनाई, तब से दिवाली मनाने की प्रथा चली आ रही है

त्रेतायुग की दीपावली

त्रेता युग को भगवान राम के युग से जाना जाता है, मर्यादा पुरुषोत्तम राम महाबलशाली राक्षसेन्द्र रावण को हराकर 14 साल के बाद अयोध्या लौटे थे, तभी अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया था दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रकाश का पर्व है

द्वापर युग की दीपावली

द्वापर युग को भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से याद किया जाता है, द्वापर से जुड़ी दो हम कहानी है पहली इंद्र पूजा का विरोध कर गोवर्धन पूजा का श्रीकृष्ण ने स्‍थानीय प्राकृतिक संपदा के प्रति सामाजिक चेतना का शंखनाद किया और गोवर्धन पूजा के रूप में अन्नकूट की परंपरा बनाई, ये पर्व प्राय: दीपावली के दूसरे दिन प्रतिपदा को मनाया जाता है

द्वापर युग की दूसरी घटना

दूसरी घटना नरकासुर राक्षस के वध और अपनी प्रिया सत्यभामा के लिए पारिजात वृक्ष लाने की घटना दिवाली से एक दिन पूर्व अर्थात रूप चतुर्दशी से जुड़ी है, इसे नरक चतुर्दशी भी कहते है

अमावस्या के तीसरे दिन भाई दूज

अमावस्या के तीसरे दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बहन द्रोपदी का भोजन का आमंत्रण स्वीकार किया, फिर द्रौपदी ने श्री कृष्ण से पूछा कि क्या बनाऊ, कृष्ण ने मुस्कराकर कहा- बहन कल ही अन्नकूट में ढेरों पकवान खा-खाकर पेट भारी हो चला है इसलिए आज मैं केवल खिचड़ी खाऊंगा, संसार के स्वामी ने यही तो संदेश दिया था कि- तृप्ति भोजन से नहीं, भावों से होती है

कलियुग की दीपावली

वर्तमान कलियुग दीपावली को स्वामी रामतीर्थ और स्वामी दयानंद के नाम से जोड़ा जाता है, भारतीय ज्ञान और मनीषा के दैदीप्यमान अमरदीपों के रूप में याद कर, आत्मज्योति के परम ज्योति से महामिलन के लिए, जिनकी दिव्य आभा आज भी संसार को आलोकित किए है, प्रेम, अहिंसा और संयम के अद्भुत प्रतिमान के रूप में हैं

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