हिंदू महिलाओं को शादी के बाद चांदी की बिछिया पहनना क्यों जरूरी? जानिए परंपरा और मान्यता
Date: Oct 24, 2024
By: Nitika Srivastava, Bharatraftar
चांदी की बिछिया पहनने की परंपरा
हिंदू धर्म में रीति रिवाजों का विशेष महत्व दिया गया है. जिसमें शादी के बाद महिलाओं को चांदी की बिछिया पहनना अनिवार्य होता है.
सुहाग की निशानी
शादी के बाद चांदी की बिछिया को सुहाग की निशानी माना जाता है. इतना ही नहीं ये सुहागन के 16 श्रृंगार में से एक है.
महत्व
वैसे तो हिंदू धर्म में कई नियम हैं, जिनके पीछे महत्व भी छुपे हुए हैं. चांदी की बिछिया न सिर्फ सुहागन स्त्री के पैरों की शोभा बढ़ाती है, बल्कि इसका भी महत्व है.
सुखी वैवाहिक जीवन
ऐसी मान्यता है कि, चांदी की बिछिया पहनने से वैवाहिक जीवन सुख से भर जाता है. साथ ही पति पत्नी के बीच रिश्ते मजबूत रहते हैं.
चंद्रमा का कारक
शास्त्रों में चांदी की बिछिया को चंद्रमा का कारक माना जाता है. इतना ही नहीं इसे पहनने से सभी ग्रहों की बाधा दूर होती है.
चंद्रमा मजबूत
पैर की मध्यमा उंगली में चांदी की बिछिया पहनना शुभ माना जाता है. इससे चन्द्रमा मजबूत होता है.
वैज्ञानिक पहलू
हिंदू धर्म में जुड़ी चीजों का ना सिर्फ धार्मिक महत्व होता है, बल्कि उसके पीछे वैज्ञानिक पहलू भी होते हैं. वैज्ञानिक नजरिया से देखा जाए तो चांदी की बिछिया पहनना काफी फायदेमंद होती है.
शरीर को दे ठंडक
चांदी की प्रकृति ठंडी होती है. चांदी की बिछिया पहनने से शरीर ठंडा रहता है. और टेंपरेचर कंट्रोल में रहता है.
मसल्स रखे मजबूत
चांदी की बिछिया एक्युप्रेशर ट्रीटमेंट का काम करती है. जिस वजह से शरीर की निचले हिस्सों की मसल्स मजबूत रहती है.
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