केले के पत्तों पर खाना क्यों खाते हैं साउथ इंडियन लोग? ये होते है फायदे
Date: Sep 05, 2024
By: Mansi Yadav, Bharatraftar
केले के पत्ते
केले को पवित्र और पूजनीय पौधा माना गया है। केले पत्तों से मंडप भी बनाए जाते हैं। भगवान सत्यनारायण की कथा में इन पत्तों का विशेष महत्व है। वास्तु के अनुसार केले का पौधा घर में या घर के सामने हो तो इससे घर के कई दोष दूर हो सकते हैं।
पवित्र और शुद्ध
इन पत्तों को पवित्र और शुद्ध माना जाता है और यही वजह है कि ज्यादातर देवताओं को केले के पत्तों में प्रसाद परोसा जाता है। दक्षिण भारत में लोग आज भी खास मौकों और त्योहारों पर अपने मेहमानों को केले के पत्ते पर खाना परोसते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
इन पत्तों में पॉलीफेनॉल्स नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो ग्रीन टी और कुछ पत्तेदार सब्जियों में भी पाए जाते हैं और कई तरह की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोक सकते हैं।
वाटरप्रूफ क्वालिटी
क्या आपने कभी सोचा है कि लोग केले के पत्ते पर तरल व्यंजन कैसे खा पाते हैं? ऐसा इसके वाटर प्रूफ गुण के कारण होता है |
साफ और हाइजिनिक
इन पत्तियों का बाहरी भाग मोम जैसा होता है और इसलिए इन्हें साफ करना आसान होता है क्योंकि इन पर धूल नहीं चिपकती। बस इन्हें धो लें और खाने के लिए इस्तेमाल करें।
आकार में बड़े
केले के पत्ते बहुत बड़े होते हैं और एक टुकड़े में पूरा भोजन समा सकता है | विभिन्न करी को मिलाए बिना केले के पत्ते पर परोसा जा सकता है | यही कारण है कि केले के पत्तों को आमतौर पर थाली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है|
स्वाद बढ़ाता है
केले के पत्ते पर खाना खाने से खाने का स्वाद बढ़ जाता है। पत्तियां एक सूक्ष्म, मिट्टी जैसा स्वाद प्रदान करती हैं जो भोजन के आनंद को बढ़ा देती है।
इको फ्रेंडली
डिस्पोजेबल प्लेटों के नेचुरल विकल्प के रूप में केले के पत्तों का उपयोग करना एक एनवायरमेंट-फ्रेंडली विकल्प है | ये प्लास्टिक या फोम प्लेटों की जरूरत को कम करता है, जो प्रदूषण में योगदान करते हैं|
नॉन टॉक्सिक
कुछ सिंथेटिक प्लेटों या केले के पत्तों के विकल्प के विपरीत, केले के पत्ते नॉन टॉक्सिक होते है। वे भोजन में हानिकारक रसायन या विषाक्त पदार्थ नहीं छोड़ते हैं।
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