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गोपियों ने श्रीकृष्ण के लिए की थी मां कात्यायनी की पूजा, माता का वरदान देता है अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष

Shardiya Navratri 2024 6th Day: वैसे तो माता दुर्गा की सभी शक्तियां ही अलौकिक हैं। सभी का अपना खास महत्व है, जो जीवन के अलग-अलग समय मनुष्य को रास्ता दिखाती हैं। मां कात्यायनी के स्वरूप को अत्यंत भव्य और दिव्य है। वो ज्ञान और तपस्या का प्रतीक पीले वस्त्र धारण करती हैं। माता का वाहन सिंह है, जोकि शक्ति और साहस का प्रतीक है।

गोपियों ने श्रीकृष्ण के लिए की थी मां कात्यायनी की पूजा, माता का वरदान देता है अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष

Shardiya Navratri 2024 6th Day: नवरात्रि का छटा भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करने वाली माता दुर्गा की कात्यायनी शक्ति को समर्पित है। कहा जाता है कि द्वापर युग में गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी। मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग, मनचाहा जीवनसाथी मिलने का वरदान प्राप्त होता है। 

चमत्कारी है मां कात्यायनी का स्वरुप

वैसे तो माता दुर्गा की सभी शक्तियां ही अलौकिक हैं। सभी का अपना खास महत्व है, जो जीवन के अलग-अलग समय मनुष्य को रास्ता दिखाती हैं। मां कात्यायनी के स्वरूप को अत्यंत भव्य और दिव्य है। वो ज्ञान और तपस्या का प्रतीक पीले वस्त्र धारण करती हैं। माता का वाहन सिंह है, जोकि शक्ति और साहस का प्रतीक है। उनके हाथ में कमल का फूल और तलवार है। जिसमें कमल शांति और ज्ञान का प्रतीक है। वहीं, तलवार दुष्टों का नाश करने की शक्ति को दर्शाती है। मां कात्यायनी को ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है। वो भक्तों को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करती हैं और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं।

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शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहेगा। मां कात्यायनी की पूजा के लिए पहले कलश की पूजा का विधान है, जो स्वयं गणेश हैं। उन्हें स्नान के बाद साफ कपड़े पहनाएं और फूल, अक्षत आदि अर्पित कर तिलक लगाएं। फिर उन्हें मोदक भोग लगाएं और पूरे विधि विधान से पूजा करें।

इस खास अनुष्ठान के बाद करें माता की पूजा

मां कात्यायनी की विधि से पूजा करना शुभ माना गया है। मोदक का भोग और विधि से पूजा करने के बाद आपको नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता की पूजा भी करना चाहिए। इसके बाद ही आप माता कात्यानी की पूजा करें। कात्यानी देवी की पूजा के लिए अपने एक हाथ में एक फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें। फिर माता को फूल चढ़ाएं और अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें। माता को भोग लगाना ना भूलें। साथ ही माता कात्यायनी के पास ही घी का दीया अवश्य भी जलाएं। फिर मंत्रों का जाप करें और आखिर में आरती करें।

मां कात्यायनी मंत्र-

"कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी.

नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः.."

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माता का भोग

बताया गया है कि मां कात्यायनी को शहद या मीठे पान का भोग लगाना बेहद शुभ माना गया है। इससे व्यक्ति को किसी प्रकार का भय नहीं सताता है और शुभ फल मिलता है।

* ये रिपोर्ट धर्म की जानकारी रखने वाले विद्वान से बात करने के बाद लिखी गई है, लेकिन किसी भी प्रकार की त्रुटि या भावना आहत के लिए भारत रफ्तार क्षमाप्रार्थी है।