नवरात्रि के आखिरी दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, होगी हर इच्छा पूरी, इस दिन कन्या पूजन का है खास महत्व!
वैदिक पंचाग के अनुसार, नवमी तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 11 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 6 मिनट होगी। नवमी तिथि का समापन शनिवार, 12 अक्टूबर दोपहर 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। उदय तिथि के अनुसार,नवमी तिथि शुक्रवार, 11 अक्टबर को मनाई जाएगी। माता की पूजा के लिए सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा व समस्त देवी देवताओं का ध्यान करें।
नवरात्रि का नौवां दिन दुर्गा मां की माता सिद्धिदात्री शक्ति को समर्पित है। वैसे इस दिन को हम सभी राम नवमी और महानवमी के नाम से जाना से भी जानते हैं। माता के सभी दिनों को वंदना के बाद नौवें दिन कन्या पूजना का अपना अलग महत्व है। मां सिद्धिदात्री की पूजा कैसे करनी चाहिए, माता के लिए कौन का भोग और रंग महत्व रखता है और मां सिद्धिदात्री का मंत्र क्या है, चलिए जानते हैं....
माता का पूजा मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
मां सिद्धिदात्री स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
कैसा है माता का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री के कई नाम हैं। इनमें अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि शामिल हैं। कमल पुष्प पर आसीन मां की 4 भुजाएं हैं। मां का वाहन सिंह है। सिद्धिदात्री मां की आराधना-उपासना कर भक्तों की लौकिक, पारलौकिक सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मां अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं जिससे कुछ भी ऐसा शेष नहीं बचता है जिसे व्यक्ति पूरा करना चाहे। व्यक्ति अपनी सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं से ऊपर उठता है और मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता है और फिर विषय-भोग-शून्य हो जाता है।
ये भी पढ़ें राजस्थान माता मंदिर: नवरात्रि में करें करणी माता से लेकर कैला देवी तक इन मंदिरों में दर्शन, भर जाएगी झोली!
मां सिद्धिदात्री की पूजाविधि
वैदिक पंचाग के अनुसार, नवमी तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 11 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 6 मिनट होगी। नवमी तिथि का समापन शनिवार, 12 अक्टूबर दोपहर 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। उदय तिथि के अनुसार,नवमी तिथि शुक्रवार, 11 अक्टबर को मनाई जाएगी। माता की पूजा के लिए सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा व समस्त देवी देवताओं का ध्यान करें। मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाकर मां की भक्ति भाव से पूजा करें। इसके बाद मां को पूरी, खीर, चने, हलुआ, नारियल का भोग लगाएं। फिर माता के मंत्रों का जाप करें और नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराएं।
मां सिद्धिदात्री का भोग
मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, हलवा, खीर और नारियल बहुत प्रिय हैं। मान्यता है कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को इन चीजों का भोग लगाने से वह बहुत प्रसन्न होती है। वहीं रंग की बात करें तो मां सिद्धिदात्री को बैंगनी और सफ़ेद रंग प्रिय है। इस दिन मां सिद्धिदात्री को सफेद या बैंगनी रंग के वस्त्र अर्पित करना बहुत अच्छा होता है। इसके अलावा महानवमी को बैंगनी या सफेद रंग के कपड़े पहनना बहुत शुभ होता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है।