Cancer: महिलाएं हो रही सर्वाइकल कैंसर की शिकार...बचाव के लिए आज से ही शुरू करें ये उपाय, पढ़िए पूरी खबर
यह कैंसर महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है। गर्भाशय ग्रीवा यानी महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में मौजूद एक हिस्सा। यह गर्भाशय का निचला हिस्सा होता है।
भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के मामलों और मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक साल 2022 में भारत में सर्वाइकल कैंसर के 1.27 लाख से ज्यादा मामले सामने आए। सर्वाइकल कैंसर से होने वाली कुल मौतों में से 25 फीसदी भारत में ही होती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि देश में सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले एडवांस यानी आखिरी स्टेज के दौरान सामने आते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि महिलाओं को इस कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं होती है। इस वजह से बीमारी की पहचान देर से होती है और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसे में महिलाओं को इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए।
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सबसे पहले जानते हैं सर्वाइकल कैंसर क्या है
यह कैंसर महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है। गर्भाशय ग्रीवा यानी महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में मौजूद एक हिस्सा। यह गर्भाशय का निचला हिस्सा होता है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है और अगर समय पर इसकी पहचान न हो तो यह शरीर के दूसरे हिस्सों में चला जाता है। महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होता है। एचपीवी एक आम संक्रमण है जो यौन संपर्क से फैलता है। जब यह वायरस महिलाओं के शरीर में प्रवेश करता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली इसे पहचान कर खत्म कर देती है, लेकिन कुछ मामलों में यह वायरस खत्म नहीं होता और सालों तक गर्भाशय ग्रीवा में बढ़ता रहता है। इसके कारण इस हिस्से में मौजूद कुछ कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं और कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण कैंसर हो जाता है। ज्यादातर मामलों में महिलाओं को सालों तक इस कैंसर के बारे में पता ही नहीं चलता।
कैसे होता है इसका इलाज?
सफदरजंग अस्पताल में ऑन्को गायनोकोलॉजी विभाग की डॉ. सलोनी चड्ढा का कहना है कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मामले में कैंसर के ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी से इसका इलाज किया जाता है। अन्य उपचारों में कैंसर कोशिकाओं को मारने वाली दवाएं शामिल हो सकती हैं। इसमें मरीज को कीमोथेरेपी दी जाती है। रेडियोथेरेपी से भी मरीज का इलाज किया जाता है।
डॉ. सलोनी का कहना है कि अगर शुरुआत में ही गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का पता चल जाए तो इस कैंसर को आसानी से रोका जा सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका पता देर से चलता है। लक्षणों की जानकारी न होना इसका एक बड़ा कारण है। ऐसे में महिलाओं में इस कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी है। अगर समय रहते कैंसर की पहचान हो जाए तो इसका इलाज आसानी से हो जाएगा। इससे कैंसर से होने वाली मौतों को कम करने में भी मदद मिलेगी।
शुरुआत में सर्वाइकल कैंसर की पहचान कैसे करें?
डॉ सलोनी का कहना है कि ये कुछ लक्षण हैं जिनसे आप शुरुआत में ही सर्वाइकल कैंसर की पहचान कर सकते हैं
पीरियड्स की डेट नहीं आई है फिर भी ब्लीडिंग हो रही है
शारीरिक संबंध बनाने के बाद पेल्विक एरिया यानी पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द
प्राइवेट पार्ट से डिस्चार्ज
लगातार वजन कम होना
सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचा जा सकता है?
एम्स में गायनोकोलॉजी डिपार्टमेंट की डॉ स्वाति का कहना है कि वैक्सीन की मदद से सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। 9 साल की उम्र पार कर चुकी लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवाना चाहिए। यह टीका 9 से 14 साल की उम्र में सबसे ज्यादा फायदेमंद है। हर महिला को सलाह दी जाती है कि वह सेक्स करने से पहले सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवा लें। ऐसा इसलिए क्योंकि सेक्स करने के बाद सर्वाइकल कैंसर का खतरा रहता है।
कौन सी जांच करवानी चाहिए?
डॉ स्वाति का कहना है कि नियमित जांच करवाकर इस कैंसर की शुरुआती अवस्था में ही पहचान की जा सकती है। इस कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर या एचआरएचपीवी टेस्ट के जरिए कैंसर कोशिकाओं का पता लगाया जाता है। इससे बीमारी का कैंसर में बदलने से पहले ही उसका इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि महिलाएं व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें और सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।