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साईं बाबा की शिरडी की कहानी, मंदिर से लेकर गुरु स्थान तक जानिए क्यों है भक्तों के लिए महत्वपूर्ण

महाराष्ट्र के शिरडी में साईं बाबा का मंदिर साईं बाबा की समाधि के ऊपर बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था। कहा जाता है कि साईं 16 साल की उम्र में शिरडी आए और चिरसमाधि में लीन होने तक यहीं रहे। साईं को लोग आध्यात्मिक गुरु और फकीर के रूप में भी जानते हैं।

साईं बाबा की शिरडी की कहानी, मंदिर से लेकर गुरु स्थान तक जानिए क्यों है भक्तों के लिए महत्वपूर्ण

शिरडी और साईं बाबा को लेकर विवाद एक बार फिर से हो रहा है। शिवजी की नगरी काशी में 14 साईं बाबा की मूर्तियों को सूती सफेद कपड़ों में लपेटकर गंगा नहीं में विर्सजन करने की बात गुरुवार को कही गई। इस मामले में गिरफ्तारी भी हो चुकी है। साईं बाबा को लेकर अब तरह-तरह के बयान भी सामने आ रहे हैं। लेकिन भक्तों को उससे कोई खास फर्क नहीं है। शिरडी उनके लिए पहले भी पवित्र था और हमेशा रहेगा। लेकिन शिरडी का कहानी आखिर है क्या, क्यों साईं भक्तों के लिए शिरडी तीर्थ है...

शिरडी की कहानी

शिरडी महाराष्ट्र के सबसे खास धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। हर साल यहां लाखों लोग बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की प्रसिद्धि सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि बाबा का दर्शन करने लोग विदेशों से भी आते हैं। शिरडी महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है। ये साईं की धरती कही जाती है। जहांपर साईं बाबा ने अपने चमत्कारों दिखाए। शिरडी में साईं का एक विशाल मंदिर है। मान्यता है कि, चाहे गरीब हो या अमीर साईं के दर्शन करने इनके दरबार पहुंचा कोई भी शख्स खाली हाथ नहीं लौटता है। सभी की मुरादें और मन्नतें पूरी होती हैं।

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बाबा की समाधि पर बना मंदिर

महाराष्ट्र के शिरडी में साईं बाबा का मंदिर साईं बाबा की समाधि के ऊपर बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था। कहा जाता है कि साईं 16 साल की उम्र में शिरडी आए और चिरसमाधि में लीन होने तक यहीं रहे। साईं को लोग आध्यात्मिक गुरु और फकीर के रूप में भी जानते हैं।

शिरडी के गुरूस्थान की कहानी

शिरडी में नीम के पेड़ के नीचे साईं बाबा बैठते थे, जिसे अब गुरूस्थान के नाम से जाना जाता है। इस नीम के पेड़ की पत्तियों की खासियत है कि ये मीठी हैं, जबकि नीम अपनी कड़वाहट के लिए मशहूर है। यदि कभी आप शिरडी जाएं और आपको इस पेड़ की पत्तियां गिरी हुईं मिलें तो उन्‍हें चखें। माना जाता है कि इस नीम के पेड़ की पत्ती चखने वाला हमेशा स्वस्थ रहता हैं।

हर साल 400 करोड़ से ज्यादा आता है दान

शिरडी का मुख्य साईं बाबा का मंदिर 4.5 एकड़ में फैला हुआ है और शिरडी का ये गांव लगभग 7 एकड़ में फैला हुआ है। साईंबाबा के मंदिर में सालभर में लगभग 400 करोड़ 17 लाख दान आता है। सालभर में 26 किलो सोना और 330 किलो चांदी के आभूषण जिसकी कीमत कुल 13 करोड़ 63 लाख रुपये हैं, सोना चांदी के माध्यम से प्राप्त हुआ। इस दान के माध्यम से साई बाबा मंदिर ट्रस्ट दो अस्पताल चलाते हैं और साईबाबा प्रसादालय में रोजाना 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को मुफ्त में आहार दिया जाता है।