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पंजाब का सतविंदर कैसे बन गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई? जानिए पूरी टाइमलाइन सिर्फ एक क्लिक में....

आनंदपाल के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसका गुट कमजोर पड़ गया था। ऐसे में लॉरेंस ने गुट को अपनी ताकत दी। अजमेर की इस जेल में भी लॉरेंस का दबदबा चलने लगा, यहां भी उसे फोन मिलने लगे। लॉरेंस ने फोन से ही आनंदपाल के सियासी विरोधी रहे सीकर के पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या करवा दी। इसके बाद आनंदपाल गैंग के लोग भी अपना लॉरेंस को सरगना मानने लगे।

पंजाब का सतविंदर कैसे बन गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई? जानिए पूरी टाइमलाइन सिर्फ एक क्लिक में....

एक 31 साल का लड़का, जो जेल के अंदर बंद है। लेकिन बीते 10 से 12 साल से वो धमकी और मर्डर जैसी तमाम सुर्खियों का हिस्सा है। यूं तो बचपन में उसे सब अन्याय न बर्दाश्त करने वाला बताते हैं, वो भगत सिंह को अपना आइडल मानता था। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि जिसे आईएएस अधिकारी बनाने का सपना कांस्टेबल पिता ने देखा था, वो उसे पूरा करने की बजाय उनके बिल्कुल ऑपजिट निकल गया। मीडिया रिपोर्ट्स से मिली तमाम जानकारी के जरिए आज हम आपको लॉरेंस बिश्नोई की अब तक की टाइमलाइन बताते हैं...

मां ने लॉरेंस कहा लेकिन वो बन गया गैंगस्टर?

पंजाब के फाजिल्का में एक आम पुलिस कांस्टेबल लविंद्र कुमार तैनात थे, जिनके घर फरवरी 1993 को एक बेटे का जन्म हुआ। बेटा काफी गोरा था, इसलिए मां उसे प्यार से लॉरेंस बुलाने लगीं। ईसाई धर्म में लॉरेंस नाम का अर्थ “उज्ज्वल व्यक्ति” या “चमकता हुआ व्यक्ति” होता है। हालांकि लॉरेंस का कागजी नाम सतविंदर सिंह है। पिता चाहते थे बेटा आईएएस-आईपीएस अधिकारी बने, तो उसे शुरुआत में अबोहर के मंहगे स्कूल में करवाई और फिर अच्छी तालीम के लिएचंडीगढ़ डीएवी भेज दिया।

गोल्डी बराड़ के दोस्ती और आया टर्निंग प्वाइंट !

वो साल 2011 था, जब चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में लॉरेंस ने एडमिशन लिया। कॉलेज में ही उसकी दोस्ती गोल्डी बराड़ से हुई, दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाने लगी। दोनों ने एलएलबी की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में हाथ आजमाने के लिए एक सोपू नाम का संगठन बनाया। सोपू का मतलब स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी था। इस संगठन से लॉरेंस बिश्नोई ने छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। काफी एफर्ट के बाद वो चुनाव हार गया। हार का बदला लेने के लिए उसने रिवाल्वर खरीद ली और विपक्षी छात्र नेता पर गोली चला दी, जिसके बाद पहली बार उस पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ। पहली बार गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन वो जमानत पर रिहा हो गया।

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ये पहली बार था जब लॉरेंस और गोल्डी बराड़ दोनों इसके बाद अपराध की दुनिया में उतर गए और दोनों मिलकर चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में अपराध की वारदातों को अंजाम देने लगे। लॉरेंस उदय सह-डग ग्रुप से हुई मुठभेड़ के बाद पुलिस वालों के निशाने पर आ गया था। मामले के कुछ दिन बाद ही वह एक बार फिर अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार हुआ, लेकिन फिर से जमानत हो गई। जमानत पर बाहर आने के बाद लॉरेंस रुका नहीं, वह हत्या, लूट और डकैती करता रहा, जिसके चलते वह जेल जाता रहा और जमानत पर बाहर भी आता रहा।

भाइयों का हत्या का बदला लेने निकला और बन गया गैंगस्टर?

साल 2014 दिसंबर में लॉरेस के मामा के दोनों बेटों की हत्या हो गई, वो अपने भाइयों से काफी क्लोज था। उसे पता चला कि हत्या हरियाणा जेल में बंद बठिंडा के हरगोबिंद सिंह और गैंगस्टर रम्मी मशाना ने करवाई थी। इस दौरान वो भी जेल में बंद था। ऐसे में पंजाब की खरड़ पुलिस 17 जनवरी 2015 को जब उसे कोर्ट में पेशी के लिए लेकर जा रही थी, तभी वह पुलिस को चकमा देकर भाग गया। लॉरेंस दिल्ली से होते हुए नेपाल गया, जहां उसने बदला लेने के लिए 60 लाख रुपये के विदेशी हथियार और बुलेटप्रूफ जैकेट तक खरीद ली।

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लॉरेंस इसके बाद गैंगस्टर रम्मी मशाना की हत्या करने के लिए पंजाब-हरियाणा में तलाश करने लगा, लेकिन मार्च 2015 में फाजिल्का पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। लॉरेंस ने इसके बाद जेल में ही अपनी फौज बनानी शुरू कर दी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब पुलिस को फरीदकोट जेल में उसके पास फोन और तकरीबन 40 सिम कार्ड बरामद हुए। 

आनंदपाल के भाई से मुलाकात और फिर फैला एम्पायर

कहा जाता है कि लॉरेंस जेल में बंद होने के बाद भी जुर्म की दुनिया में एक्टिव था। राजस्थान के जोधपुर के डॉक्टर चांडक और एक ट्रैवलर को मारने के लिए लॉरेंस ने फरीदकोट जेल से ही मार्च 2017 में सुपारी ली थी। इसके बाद उसने फोन के जरिए ही डॉक्टर की बीएमडब्ल्यू कार में आग लगवा दी। ये मामला जोधपुर में दर्ज हुआ, इस वजह से उसे जोधपुर जेल ले जाया गया, लेकिन वहां की जेल में भी लॉरेंस का नेटवर्क चलता ही रहा। जिसके बाद राजस्थान पुलिस ने उसे 23 जून 2017 को अजमेर की घुघरा घाटी हाई सिक्योरिटी जेल में भेज दिय। इस जेल में राजस्थान के कुख्यात आनंदपाल के गैंग के भी शूटर थे. जेल में लॉरेंस की मुलाकात आनंदपाल के भाई से हुई।

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आनंदपाल के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसका गुट कमजोर पड़ गया था। ऐसे में लॉरेंस ने गुट को अपनी ताकत दी। अजमेर की इस जेल में भी लॉरेंस का दबदबा चलने लगा, यहां भी उसे फोन मिलने लगे। लॉरेंस ने फोन से ही आनंदपाल के सियासी विरोधी रहे सीकर के पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या करवा दी। इसके बाद आनंदपाल गैंग के लोग भी अपना लॉरेंस को सरगना मानने लगे।

सिद्धू मूसेवाला की हत्या जेल से की प्लान?

फेमस पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला को मारने का प्लान लॉरेंस ने जेल के अंदर से बनाया था। छात्र संगठन सोपू के विक्की मिद्दुखेड़ा लॉरेंस के बहुत करीब था, लेकिन जब 2021 में विक्की की हत्या हुई, तो लॉरेंस ने इस हत्या में शामिल लोगों को ठिकाने लगाने की साजिश शुरू की थी। लॉरेंस की इस लिस्ट में सिद्धू मूसेवाला का नाम भी था। लॉरेंस ने अक्टूबर 2021 में तीन शूटर्स शाहरुख, डैनी और अमन को सिद्धू मुसेवाला के कत्ल के लिए उनके गांव भेजा था, लेकिन किसी वजह से वह उसे नहीं मार पाए। फिर शूटर्स ने 29 मई 2022 को सिद्धू मूसेवाला को मौत के घाट उतार दिया। सिद्धू मूसेवाला की मौत की जिम्मेदारी भी लॉरेंस ने ली थी। मौजूदा समय में लॉरेंस गुजरात की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक साबरमती जेल में बंद है।