Barmer News: 48 दिन से BSF कर रही बकरियों की निगरानी, देखभाल के लिए 6 जवान नियुक्त जानें क्या है पूरा मामला
बाड़मेर जिले से सटी भारत-पाकिस्तान सीमा पर सरूपे का तला बीएसएफ चौकी का है। यहां दो रेत के टीलों के बीच सीमा की सिंगल फेंसिंग 20 से 25 फीट तक कट गई। सूचना मिलने पर बीएसएफ ने कटी सीमा पर गश्त बढ़ा दी।
राजस्थान से सटी पाकिस्तान सीमा पर करीब 250 बकरियां सीमा सुरक्षा बल के लिए मुसीबत बन गई हैं। ये बकरियां भारत की नहीं बल्कि पाकिस्तान की हैं। इस बीच फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने अपनी बकरियां लेने से इनकार कर दिया है। पिछले डेढ़ महीने से सीमा सुरक्षा बल के जवानों को इन बकरियों की देखभाल करनी पड़ रही है।
मामला बाड़मेर जिले से सटी भारत-पाकिस्तान सीमा पर सरूपे का तला बीएसएफ चौकी का है। यहां दो रेत के टीलों के बीच सीमा की सिंगल फेंसिंग 20 से 25 फीट तक कट गई। सूचना मिलने पर बीएसएफ ने कटी सीमा पर गश्त बढ़ा दी। बताया जा रहा है कि 16 जुलाई (गुरुवार) को फेंसिंग कटने के बाद करीब 250 बकरियां पाकिस्तान सीमा से भारतीय सीमा में घुस आईं। इन बकरियों को मौके पर मौजूद बीएसएफ के जवानों ने पकड़ लिया। बीएसएफ 48 दिन से बकरियों पर नजर रख रही है। बताया जा रहा है कि जब तक पाकिस्तान बकरियों को लेने का दावा नहीं करता, तब तक ये भारत में ही रहेंगी।
बकरियों की देखभाल के लिए 6 जवान नियुक्त
बकरियों की देखभाल के लिए 6 जवान नियुक्त किए गए हैं। वे बकरियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था देख रहे हैं। जवान बकरियों की देखभाल में स्थानीय ग्रामीणों की भी मदद कर रहे हैं। इस साल सीमा क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई है। इस कारण बकरियों के लिए भोजन और पानी की कमी नहीं है।
नियमों में बदलाव से बढ़ी परेशानी
भारत सरकार ने माल और पशुओं के लिए कस्टम एक्ट में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत सीमा पार से आने वाले पशुओं का स्थानीय स्तर पर ही निस्तारण किया जा सकेगा। ऐसे में कस्टम विभाग ने भी बकरियों को लेने से मना कर दिया है। नए नियमों के तहत पशुओं को एनजीओ को देने का प्रावधान है, लेकिन बाड़मेर जिले में ऐसा कोई एनजीओ नहीं होने के कारण बीएसएफ को इन बकरियों की देखभाल करनी पड़ रही है।