राजस्थान कांग्रेस में बड़े फेरबदल की तैयारी, विधानसभा उपचुनाव के बाद सचिवों और महासचिवों पर गिर सकती है गाज
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से पहले ही बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी में है। निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाने की योजना के साथ, पार्टी 2023 और 2024 के चुनावों के लिए नई ऊर्जा लाने का प्रयास कर रही है। 23 नवंबर के नतीजों के बाद, कई सचिवों और महासचिवों को बदलने की संभावना है।
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से पहले ही संगठनात्मक स्तर पर सक्रिय हो गई है। राज्य में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने और 2023 विधानसभा तथा 2024 लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है। पार्टी के भीतर उन पदाधिकारियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है जिन्होंने चुनावी गतिविधियों में कम भूमिका निभाई है। माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद पार्टी में बड़ी सफाई की जा सकती है।
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कांग्रेस के पदाधिकारियों को हटाने की अटकलें
राजस्थान कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के सूत्रों के अनुसार, जिन पदाधिकारियों ने हाल के विधानसभा उपचुनावों में सक्रियता नहीं दिखाई, उन्हें हटाने का विचार किया जा रहा है। इस फैसले के तहत उन सचिवों और महासचिवों को हटाया जाएगा जो 2023 और आगामी 2024 के चुनावों में सक्रिय नहीं रहे। यह फैसला पार्टी में नई ऊर्जा और ताजगी लाने के उद्देश्य से लिया जा रहा है।
क्यों लिया गया निर्णय
राज्य में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा उपचुनावों में सात सीटों पर मतदान हुआ है, जिनके नतीजे 23 नवंबर को आने हैं। पीसीसी के मुताबिक, विधानसभा उपचुनाव के परिणामों के बाद निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाने का फैसला किया जा सकता है। इससे पहले, प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) ने आलाकमान को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं को अधिक जिम्मेदारी सौंपने की बात की गई है।
राजस्थान पीसीसी में फिलहाल 91 सचिव और 48 महासचिव शामिल हैं, जिनमें से कई पदाधिकारी तीन से पांच साल पहले नियुक्त किए गए थे। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में चुनावी गतिविधियों में उनकी भागीदारी की कमी देखी गई है। यह भी बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं से इस मामले पर सलाह-मशविरा किया है।
पार्टी में क्या हो रही हलचल
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की रैलियों में अनुपस्थित रहने वाले लगभग 10 जिलों के सचिवों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। पार्टी का मानना है कि सक्रियता की कमी संगठन की चुनावी तैयारियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने बताया कि "हमने नए और प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं की पहचान कर ली है और उनकी नियुक्ति के लिए दिल्ली में आलाकमान की मंजूरी प्राप्त की है।"
इस बदलाव के संकेत से पार्टी के भीतर हलचल तेज हो गई है, क्योंकि कई पदाधिकारियों को अपनी स्थिति खोने का डर सता रहा है। कांग्रेस पार्टी का यह निर्णय राज्य में अपनी संगठनात्मक ताकत को बढ़ाने और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पार्टी के इस कदम से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अब निष्क्रियता को सहन करने के मूड में नहीं है और संगठन में नई स्फूर्ति लाने के लिए तत्पर है।