Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

Trending Web Stories और देखें
वेब स्टोरी

Navratri Special: एक ऐसा मंदिर जिसका कनेक्शन देश के कई युद्ध इतिहास से जुड़ हुआ है, जानिए उस मंदिर की विस्फ़ोटक कथा

नवरात्रि का उत्सव पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है लेकिन आपको ये नहीं पता होगा कि एक ऐसा भी मंदिर है जिसका कनेक्शन देश के कई युद्ध इतिहास से जुड़ हुआ है। आज आप आपको ऐसे ही मंदिर की विस्फ़ोटक कथा बताने जा रहे हैं। पढ़िये....

Navratri Special: एक ऐसा मंदिर जिसका कनेक्शन देश के कई युद्ध इतिहास से जुड़ हुआ है, जानिए उस मंदिर की विस्फ़ोटक कथा

जैसलमेर। शारदीय नवरात्र की शुरुआत के साथ ही आज जैसलमेर से सटी भारत-पाक सीमा पर स्थित मातेश्वरी तनोटराय मंदिर में कलश स्थापना के साथ दस दिवसीय मेला शुरू हो गया। कलश स्थापना सीमा सुरक्षा बल की 166वीं बटालियन की ओर से की गई। कमांडेंट ऑफिसर वीरेंद्रपाल सिंह ने कलश स्थापना के साथ हवन पूजन किया। उन्होंने माता तनोटराय की पूजा-अर्चना भी की।

इसे भी पढ़िये - Alwar में 350 साल पुराना करणी माता का मंदिर, जंगल में मां के दर्शन करने आ रहे भक्त, शारदीय नवरात्रि का 10 दिन होगा पूजन

भारत-पाक सीमा बना तनोट माता मंदिर

भारत-पाक सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर के दर्शन के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। भारतीय सेना का भी इससे गहरा नाता है। ये मंदिर देश की पश्चिमी सीमा पर जैसलमेर जिले में स्थित है, जो पाकिस्तान से लगता है। तनोट राय माता मंदिर अपने आप में ही एक अद्भुत मंदिर है। भारत-पाक सीमा पर बना ये मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध का मूक गवाह भी रहा है। युद्ध के दौरान यहां घटित घटनाओं को लोग आज तक माता का चमत्कार ही मानते आए हैं। यही वजह है कि पूरा देश तनोट माता को भारतीय सेना की रक्षक के रूप में पूजता है। लेकिन यहां घटित होने वाले चमत्कार अतीत से जुड़ी कोई कहानियां नहीं हैं और न ही कोई मनगढ़ंत कहानियां हैं।

1965 युद्ध में दिखा माता का चमत्कार

भारत-पाक युद्ध के दौरान दुश्मन की तोपखानों की तरफ से भारी गोलीबारियां बरसाई गईं। लेकिन तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमान में ग्रेनेडियर्स की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की एक पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थीं। 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना द्वारा गिराए गए 3000 बम भी इस मंदिर का बाल भी बाका तक नहीं कर सके। यहां तक ​​कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम भी नहीं फटे। माता के बारे में कहा जाता है कि युद्ध के दौरान माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस हद तक भ्रमित कर दिया था कि रात के अंधेरे में पाकिस्तानी सेना ने अपने ही सैनिकों को भारतीय सैनिक समझ लिया और उन पर गोलीबारी शुरू कर दी और परिणामस्वरूप खुद पाकिस्तानी सेना का सफाया हो गया।

पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने मांगी थी मां के दर्शन की अनुमति

1965 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान माता के चमत्कारों से अभिभूत हो गए थे। इसके बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने भारत सरकार से तनोट माता मंदिर में दर्शन करने की अनुमति मांगी। बताया जाता है कि करीब ढाई साल बाद उन्हें दर्शन की अनुमति मिली। इसके बाद शाहनवाज खान ने माता की मूर्ति के दर्शन किए और मंदिर में चांदी का छत्र भी चढ़ाया, जो आज भी मंदिर में है।

मंदिर की देखभाल करते हैं BSF के जवान

तनोट माता के मंदिर की महत्ता को देखते हुए यहां बीएसएफ ने अपनी चौकी स्थापित की है। इतना ही नहीं, मंदिर की पूरी देखभाल अब बीएसएफ के जवान ही करते हैं। मंदिर की साफ-सफाई से लेकर पूजा-अर्चना और यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधाएं मुहैया कराने तक, सभी काम अब बीएसएफ बखूबी कर रही है।

रिपोर्ट - चंद्र प्रकाश व्यास