Kota News: गुड़िया की डोली उठने से पहले रुकी, बचपन को मिला दूसरा मौका, जन्म प्रमाणपत्र से सच आया सामने, जानें पूरा मामला
घर में शादी की तैयारी जोरों पर थी। रिश्तेदारों का आना-जाना लगा हुआ था। अचानक घर के बाहर कुछ गाड़ियां रुकीं। कुछ लोग अंदर आये जिनमें पुलिस की वर्दी भी शामिल थी।
कोटा जिले के रामगंजमंडी कस्बे में शरद ऋतु की हल्की ठंडक घुली हुई थी। फूलों की खुशबू हवा में तैर रही थी, लेकिन 16 साल की गुड़िया के दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। उसके हाथों में मेहंदी रची थी, माथे पर हल्दी का टीका लगा था, पर उसकी आँखों में खुशी की चमक नहीं थी। 20 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक सामूहिक विवाह समारोह में उसकी शादी होनी थी।
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बाल विवाह के खिलाफ आवाज
घर में शादी की तैयारी जोरों पर थी। रिश्तेदारों का आना-जाना लगा हुआ था। अचानक घर के बाहर कुछ गाड़ियां रुकीं। कुछ लोग अंदर आये जिनमें पुलिस की वर्दी भी शामिल थी। देखते ही देखते घर में हड़कंप मच गया। ये बाल अधिकारिता विभाग, चाइल्ड हेल्पलाइन, सृष्टि सेवा समिति और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम थी, जिन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि यहां एक नाबालिग लड़की का विवाह होने वाला है।
जन्म प्रमाणपत्र की जांच से सच आया सामने
टीम का नेतृत्व कर रहे बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा ने परिवार से पूछताछ शुरू की। शादी की तैयारियों और लड़की की उम्र के बारे में पूछा गया। परिवार घबरा गया, झिझकते हुए उन्होंने बताया कि शादी 20 अक्टूबर को मंदसौर में होने वाली है। जब टीम ने लड़की के जन्म प्रमाणपत्र की जांच की, तो पता चला कि वह सिर्फ़ 16 साल की है। कानूनन उसकी शादी नहीं हो सकती थी।
परिवार वालों ने शादी करवाने कि मांगी मिन्नतें
हालांकि परिवार वालों ने मिन्नतें की, अपनी मजबूरियां बताईं, लेकिन टीम अपने फ़र्ज़ से नहीं डिगी। उन्होंने परिवार को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में समझाया और उन्हें कानून की जानकारी दी। रामगंजमंडी थानाधिकारी अशोक कुमार के निर्देश पर जिला प्रशासन की टीम ने परिवार को भविष्य में ऐसा न करने की सख्त चेतावनी दी और लिखित में पाबंद किया।
गुड़िया को मिला नया घर
गुड़िया को बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ के सामने पेश किया गया। फिर उसे कोटा के तेजस्विनी बालिका गृह में अस्थाई रूप से रखा गया जहां उसे पढ़ाई और बेहतर भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा। गुड़िया की आंखों में भले ही डर था, लेकिन कहीं न कहीं एक उम्मीद की किरण भी जागी थी। शायद उसे समझ आने लगा था कि जो हुआ, अच्छे के लिए ही हुआ। उसका बचपन उसे वापस मिल गया था। उसके पास अब एक मौका था, अपने सपनों को उड़ान देने का, एक नई ज़िंदगी शुरू करने का।
रिपोर्ट – सुधीर पाल