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Sikar News: कब खत्म होगा ये खूनी खेल? प्रशासन की लापरवाही उजागर, सीवर में फिर तीन मौतें, परिवारों में मचा कोहराम

मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के तहत सीवर की सफाई के लिए किसी भी व्यक्ति को बिना सुरक्षा उपकरणों के टैंक में उतारना गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में कड़े निर्देश दिए हैं।

सीकर से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है। तीन व्यक्ति सीवरेज टैंक में दम घुटने से मौत के मुंह में समा गए। ये घटना महज एक हादसा नहीं, बल्कि व्यवस्था की नाकामी का जीता-जागता सबूत है। एक तरफ देश तरक्की की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, वहीं दूसरी तरफ ऐसी घटनाएं हमें शर्मसार करती हैं। आखिर कब तक ऐसे हादसों में बेकसूर जानें जाती रहेंगी?

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व्यवस्था की नाकामी से हादसा

मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के तहत सीवर की सफाई के लिए किसी भी व्यक्ति को बिना सुरक्षा उपकरणों के टैंक में उतारना गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में कड़े निर्देश दिए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका पालन नहीं हो रहा है। सीकर की ये घटना प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता को उजागर करती है। आखिर इन तीनों व्यक्तियों को सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं उपलब्ध कराए गए? क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं है?

तीन परिवारों के लिए कयामत

ये झकझोरने वाली घटना तीन परिवारों के लिए कयामत बनकर आई है। तीनों मृतक अपने-अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनकी मौत से न केवल घर का चिराग बुझ गया है, बल्कि परिवार के भरण-पोषण का भी कोई सहारा नहीं रहा। उनके घरों में अब चूल्हा कैसे जलेगा, बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, ये सोचकर ही रूह कांप जाती है।

गंभीर समस्या का हो समाधान

राजनीतिक दलों को अब वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर इस गंभीर समस्या का समाधान ढूंढना होगा। महज घड़ियाली आंसू बहाने और कुछ इस्तीफे लेने से काम नहीं चलेगा। जरूरत है तो व्यवस्था में बदलाव की, सुरक्षा नियमों के कड़ाई से पालन की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। कब तक दलित समाज के लोग ऐसे हादसों का शिकार होते रहेंगे? सरकार को चाहिए कि वे इन परिवारों की हरसंभव मदद करे और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।