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कौन हैं अनिल बिश्नोई, जिनका 35 सालों से है सिर्फ काले हिरण के बचाव का लक्ष्य!

51 साल के अनिल बिश्नोई राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में रहते हैं। जानकारी के मुताबिक, बीते 35 सालों में अनिल बिश्नोई ने 10 हजार से ज्यादा हिरणों की रक्षा की है। साथ ही 300 से ज्यादा अपराधी यानी कि शिकारियों को गिरफ्तार करवाया है।

कौन हैं अनिल बिश्नोई, जिनका 35 सालों से है सिर्फ काले हिरण के बचाव का लक्ष्य!

लॉरेंस बिश्नोई के सलमान खान को धमकी देने के चलते देशभर में शायद ही कोई नागरिक ऐसा हो, जिसे इस नाम का पता न हो। लॉरेंस बिश्नोई....कोई इसे गैंगस्टर कहता है, तो कोई उन्हें गैंगस्टर कहने पर चिढ़ जाता है। फिरौती, हत्या और तमाम मामलों में नामजद लॉरेंस के पॉपुरल होने के चलते बिश्नोई समाज द्वारा की गई कुर्बानियों और इस समाज के खास होने के पीछे इनके प्रकृति प्रेम का पता देश और दुनिया को चला। लेकिन क्या बिश्नोई समाज का आईना लॉरेंस बिश्नोई के प्रकृति प्रेम से लगाना उचित है या फिर अनिल बिश्नोई के प्रेम से, ये सवाल फेमस यूट्यूब ध्रुव राठी ने अपने हाल ही के वीडियो में उठाया है।

कौन हैं अनिल बिश्नोई...

वैसे तो ये नाम राजस्थान के लिए अनसुना नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ध्रुव राठी ने जब इसका जिक्र किया, तो ये नाम देश तक पहुंचा और तमाम लोगों को बिश्नोई वर्सेस बिश्नोई में किसता पलड़ा भारी है, ये दोबारा सोचने का मौका मिला। काले हिरण से प्रेम के चलते लॉरेंस बिश्नोई ने सलमान खान को धमकी दी है। तो अनिल बिश्नोई ने अपनी जिंदगी में 10 हजार से ज्यादा काले हिरणों की रक्षा की है।

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51 साल के अनिल बिश्नोई राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में रहते हैं। जानकारी के मुताबिक, बीते 35 सालों में अनिल बिश्नोई ने 10 हजार से ज्यादा हिरणों की रक्षा की है। साथ ही 300 से ज्यादा अपराधी यानी कि शिकारियों को गिरफ्तार करवाया है। बताया जाता है कि अनिल बिश्नोई 50 से ज्यादा पंचायतों में अपना परिचय करवा चुके हैं और लगातार काले हिरण को लेकर जागरुकता अभियान करते रहते हैं।

अनिल बिश्नोई का काले हिरण से प्रेम

सिर्फ रक्षा ही नहीं वो अनिल बिश्नोई ने काले हिरण के लिए जलाशयों का भी निर्माण करवाया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अनिल बिश्नोई 60 गांवों में जलाशयों का भी निर्माण और सुधार करवाया है। ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में बताया है कि अगर किसी हिरण का बच्चा हो जाता है, तो वो खुद उसे ईलाज के लिए ले जाते हैं। उसकी देखभाल तब तक करते हैं, जब तक वो जंगल में छोड़ने लायक न हो जाए।

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