बिश्नोई समाज के अंतिम संस्कार नियम जानकर रह जाएंगे आप हैरान, मुखाग्नि देने की बजाय बेटा कहता है 'ये आपका घर है'
बिश्नोई समाज में अंतिम संस्कार के लिए चिता नहीं बनाई जाती है। बिश्नोई समाज में मृतक को दफनाने की परंपरा ह, जिसे "मिट्टी लगाना" कहा जाता है। इसमें शव को पैतृक भूमि पर गढ्ढा खोदकर दफनाया जाता है। इसका कारण बताया जाता है कि शव को जलाने से लकड़ी की आवश्यकता पड़ती है, जिससे हरे पेड़ों की कटाई होती है और पर्यावरण को हानि पहुंचती है।
सलमान खान को जान से मारने की धमकी के बाद बिश्नोई समाज चर्चा में है। इस समाज के बारे में कहा गया है कि बिश्नोई जीवन जीने का तरीका है। बिश्नोई समाज प्रकृति और जीवों के संरक्षण में विश्वास रखता है। इसके अपने अलग कायदे-कानून है। इसी में बिश्नोई समाज का अंतिम संस्कार का तरीका भी शामिल है।
29 नियमों को बिश्नोई समाज करता है फॉलो
बिश्नोई समाज जो प्राकृतिक संरक्षण और वन्य जीवों के प्रति अपनी निष्ठा के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समाज के लोग गुरु जम्भेश्वर के 29 नियमों का बखूबी पालन करते हैं, जिसमें वन और जीव संरक्षण पर ज्यादा जोर दिया गया है। मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरे देश में बिश्नोई समाज के करीब 13 लाख से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 9 लाख राजस्थान में और करीब 2 लाख हरियाणा में रह रहे हैं।
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कैसा होता है बिश्नोई समाज में अंतिम संस्कार
बिश्नोई समाज में अंतिम संस्कार के लिए चिता नहीं बनाई जाती है। बिश्नोई समाज में मृतक को दफनाने की परंपरा ह, जिसे "मिट्टी लगाना" कहा जाता है। इसमें शव को पैतृक भूमि पर गढ्ढा खोदकर दफनाया जाता है। इसका कारण बताया जाता है कि शव को जलाने से लकड़ी की आवश्यकता पड़ती है, जिससे हरे पेड़ों की कटाई होती है और पर्यावरण को हानि पहुंचती है। इसलिए वो मृतक को दफनाने की परंपरा अपनाते हैं।
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बिश्नोई समाज में जब किसी सदस्य का निधन होता है, तो शव को जमीन पर रखा जाता है और उसे छने पानी में गंगाजल मिलाकर नहलाया जाता है। इसके बाद शव को कफन पहनाया जाता है। जिसमें महिलाओं के लिए लाल या काले और पुरुषों के लिए सफेद कपड़े का उपयोग होता है। शव को अर्थी पर नहीं ले जाया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अर्थी के बजाय मृतक के बेटे या भाई शव को कांधे पर लेकर अंतिम संस्कार स्थल तक जाते हैं। गढ्ढा खोदने की प्रक्रिया में शव को घर में ही दफनाया जाता है। उत्तर दिशा की ओर शव के मुंह को करके दफनाया जाता है। साथ ही मृतक के बेटे द्वारा कहा जाता है “यह आपका घर है।” इसके बाद शव को मिट्टी से ढक दिया जाता है. अंतिम संस्कार के बाद गढ्ढे के ऊपर पानी डालकर बाजरी बरसाई जाती है।