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Dussehra Special : यहां रावण को जलाया नहीं बल्की गोलियों से छलनी-छलनी किया जाता है, सदियों पुरानी है परंपरा

उदयपुरवाटी के जमात क्षेत्र में रहने वाले दादूपंथी समाज के लोग इस परंपरा का पालन करते हैं। इस अनोखे रावण दहन को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। दादूपंथियों का दशहरा उत्सव नवरात्रि स्थापना के साथ ही शुरू हो जाता है।

Dussehra Special : यहां रावण को जलाया नहीं बल्की गोलियों से छलनी-छलनी किया जाता है, सदियों पुरानी है परंपरा

कल यानी शनिवार को देशभर में रावण दहन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें रावण के पुतले जलाए जाएंगे। लेकिन कहा जाता है कि भारत विविधताओं से भरा देश है। हर जगह की अपनी परंपरा होती है। इसी तरह अलग-अलग जगहों पर लोग अपने-अपने सांस्कृतिक तरीके से रावण का दहन करते हैं।

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इसी तरह राजस्थान के झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी कस्बे में रावण के पुतले के साथ-साथ उसकी सेना पर भी बंदूकों से अंधाधुंध फायरिंग की जाती है। रावण का पुतला जलाने से पहले गोलियां चलाने की दादूपंथी समुदाय की यह परंपरा करीब 400 साल पुरानी है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। क्योंकि पुलिस ने नए कानून प्रावधान के तहत दादूपंथी अखाड़े को इसकी अनुमति नहीं दी है। इस बार रावण का पुतला धनुष-बाण से जलाया जाएगा।

400 साल पुरानी परंपरा

उदयपुरवाटी के जमात क्षेत्र में रहने वाले दादूपंथी समाज के लोग इस परंपरा का पालन करते हैं। इस अनोखे रावण दहन को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। दादूपंथियों का दशहरा उत्सव नवरात्रि स्थापना के साथ ही शुरू हो जाता है। जमात स्कूल स्थित बालाजी महाराज मंदिर में ध्वजारोहण कर उत्सव की शुरुआत की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन चांदमारी क्षेत्र में परंपरागत रूप से तोपों के साथ रिहर्सल की जाती है।

ऐसे मनाते हैं दशहरा

इसके बाद शस्त्र पूजन, कथा वाचन और प्रवचन होते हैं। उत्सव के दौरान विजय पताका फहराने के लिए रणभेरी, नोबात, ढोल, ताशा और झाल की ध्वनि सुनाई देने लगती है। दशहरा उत्सव के दौरान हर दिन श्री दादू मंदिर और बालाजी मंदिर में दुर्गा सप्तशती और दादूवाणी का पाठ, चांदमारी की रस्म, विशेष आरती होती है। इस दौरान रसोई पूजन, चादर दस्तूर, सवामणी-प्रसाद, सम्मेलन जैसे कार्यक्रम होते हैं।

गोलियों से भूना जाता है रावण

दादूपंथी समुदाय के इस अनोखे दशहरा उत्सव में रावण की सेना को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। यहां रावण दहन के दौरान मिट्टी के कई बर्तन रखे जाते हैं और फिर उन्हें सफेद रंग से रंगा जाता है। इन बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर इस तरह रखा जाता है कि रावण के दोनों तरफ असली सेना दिखाई दे। सबसे पहले सेना पर गोलियां चलाई जाती हैं। इसके बाद रावण को गोली मारी जाती है।