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Jaisalmer Navratri Special: रियासत काल का वो मंदिर जिसकी आस्था सुन दुनिया भर से लोग आते है शीश झुकाने

गिरिराज पुरोहित कहते हैं कि इस मंदिर की खासियत ये है कि ये पानी के बीच बना है और यहां का नजारा मनमोहक है। ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जो चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है और यहां आने पर शांति का अनुभव होता है।

Jaisalmer Navratri Special: रियासत काल का वो मंदिर जिसकी आस्था सुन दुनिया भर से लोग आते है शीश झुकाने

जैसलमेर रियासत काल से ही शक्ति का उपासक रहा है। यही वजह है कि जैसलमेर चारों दिशाओं से शक्ति पीठों से घिरा हुआ है। आज हम आपको जैसलमेर के प्राचीन मंदिरों में से एक हिंगलाज शक्ति पीठ मंदिर में ले चल रहे हैं।

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800 साल पुराना है ये शक्तिपीठ मंदिर

ये प्राचीन जैसलमेर के ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब में बना है जो चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है। हिंगलाज शक्तिपीठ मंदिर का निर्माण करीब 800 साल पुराना है। मंदिर के इतिहास के जानकार अचल सिंह दैया बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण महारावल गढ़सी सिंह के समय में हुआ था। इस मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किए गए पत्थर भी इसी तालाब से खोदकर निकाले गए थे। उन्होंने बताया कि मंदिर की स्थापना करीब 1563 में गड़ीसर तालाब की खुदाई के बाद हुई थी। आज तक इस मंदिर में कभी पूजा-अर्चना नहीं हुई। पहले बुजुर्ग राजकीय नाव से पानी से घिरे मंदिर में आते थे और अन्य युवा तैरकर मंदिर पहुंचते थे। ये जैसलमेर के लोगों की आस्था का केंद्र है।

पानी के बीच बना है मंदिर

गिरिराज पुरोहित कहते हैं कि इस मंदिर की खासियत ये है कि ये पानी के बीच बना है और यहां का नजारा मनमोहक है। ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जो चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है और यहां आने पर शांति का अनुभव होता है। पहले हम पानी में तैरकर यहां आते थे। लेकिन अब श्रद्धालु नाव से यहां आते हैं। हिंगलाज माता, चामुंडा माता और महिषासुर मर्दनी की मूर्तियां यहां एक साथ मौजूद हैं। ऐसा आमतौर पर देखने को नहीं मिलता। ये मंदिर अपने आप में अद्भुत है। यही वजह है कि इस मंदिर का बहुत महत्व है। ऐसा भी माना जाता है कि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

नाव से होते हैं इस शक्ति पीठ के दर्शन

नाव से इस शक्ति पीठ के दर्शन करने आए नरेंद्र सेवक कहते हैं कि वे बचपन से ही इस मंदिर में आते रहे हैं। गढ़ीसाली के बीच में बना मंदिर बेहद मनमोहक है। वे कहते हैं कि इस मंदिर में एक से बढ़कर एक मूर्तियां हैं, ऐसा उन्होंने कहीं और नहीं देखा। सैकड़ों सालों से हर नवरात्रि पर यहां मेला लगता है। हमारा मानना ​​है कि यहां हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

जैसलमेर के निवासियों की आस्था का प्रतीक ये मंदिर चारों ओर से जल और हरियाली से घिरा हुआ है। प्रकृति के बीच भक्तों के लिए इससे अधिक शांतिपूर्ण और सुंदर मंदिर हो ही नहीं सकता।

रिपोर्ट चंद्र प्रकाश व्यास